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बुधवार, 8 अप्रैल 2020

छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 2010

छ.ग. शासन ने वित्त निर्देश 37/2010 दिनांक 01 अक्टबूर, 2010 (ज्ञाप क्रमांक 307/10/वित्त/नियम/चार/2010, दिनांक 01.10.2010) के द्वारा राज्य में प्रचलित छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1977 के स्थान पर छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 2010 लागू किया है। अध्याय एक से अध्याय तीन तक का विवरण नीचे दिया गया है।

भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक द्वारा प्रदत्त शक्तियो को प्रयोग में लाते हुए, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल एतद्द्वारा निम्नलिखित नियम बनाते हैं, अर्थात् :-

नियम
अध्याय - एक 
प्रारंभिक 
1. संक्षिप्त नाम एवं प्रारंभ - (1) ये नियम छत्तीसगढ़ सिविल सेवाएं (अवकाश) नियम 2010 कहलायेगें। 
(2) ये 1 अक्टूबर 2010 से प्रवृत्त होंगे।
2. प्रयुक्ति का क्षेत्र - इन नियमों में अन्यथा उपबंधित को छोड़कर, ये नियम उन सभी शासकीय सेवकों पर लागू होंगे, जो इन नियमो के लागू होने की तिथि पर सेवा में हैं, एवं जो राज्य के कार्य से संबंधित सिविल सेवाओं तथा पदो पर नियुक्त है, किन्तु निम्नलिखित को लागू नहीं होंगे - 
(क) आकस्मिक अथवा दैनिक दर अथवा अंशकालीन नियोजन में नियुक्त व्यक्तियों पर; 
(ख) आकस्मिकता से भुगतान प्राप्त करने वाले व्यक्तियों पर; 
(ग) कार्यभारित स्थापनाओं में नियोजित व्यक्तियों पर; 
(घ) जहॉं संविदा में अन्यथा उपबंधित हों, को छोड़कर संविदा पर नियोजित व्यक्तियों पर; 
(ड.) ऐसे व्यक्तियों पर जिनके संबंध में संविधान अथवा संविधान के किसी उपबन्ध अथवा तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के द्वारा या के अधीन विशिष्ट प्रावधान किया गया हो; 
(च) राज्य शासन के किसी विभाग के अधीन केन्द्र शासन अथवा किसी अन्य स्त्रोत से सीमित अवधि के लिए प्रतिनियुक्ति पर सेवारत व्यक्तियों पर; 
(छ) अखिल भारतीय सेवा के सदस्यों पर । 
3. परिभाषाएं - 
(1) इन नियमों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो- 
(क) ‘‘सेवा का पूर्ण वर्ष’’ या ‘‘एक वर्ष की निरंतर सेवा’’ से अभिप्रेत है, राज्य शासन के अधीन विनिर्दिष्ट अवधि की निरंतर सेवा तथा  जिसमें कर्तव्य पर व्यतीत अवधि के साथ असाधारण अवकाश को शामिल करते हुए ली गई अवकाश की अवधि शामिल है ; 
(ख) शासकीय सवेक के संबंध में ‘‘सेवानिवृत्ति की तिथि’’ अथवा ‘‘उसके सेवानिवृत्ति की तिथि’’ से अभिप्रेत है, उस माह के अंतिम दिन का अपरान्ह् जिसमें शासकीय सेवक उसकी सेवा को शासित करने वाले निबंधन एवं शर्तो के अधीन सेवानिवृत्ति हेतु निर्धारित आयु प्राप्त करता है ; 
(ग) ‘‘बाह्य सेवा’’ से अभिप्रेत है, ऐसी सेवा, जिसमें शासकीय सेवक अपना वेतन भारत की संचित निधि अथवा किसी अन्य राज्य की संचित निधि अथवा किसी केन्द्र शासित प्रदेश की संचित निधि के अलावा शासन की स्वीकृति से किसी अन्य स्त्रोत से प्राप्त करता है ; 
(घ) ‘‘प्रपत्र’’ से अभिप्रेत है,  इन नियमों के साथ संलग्न प्रपत्र ; 
(ड.) ‘‘अर्धस्थाई सेवा में शासकीय सेवक’’ से अभिप्रेत है, ऐसा शासकीय सेवक जिसे छत्तीसगढ़ शासकीय सेवक (अस्थाई एवं अर्धस्थाई सेवा) नियम, 1960 के अंतर्गत अर्धस्थाई घोषित किया गया हो अथवा माना गया हो ; 
(च) ‘‘स्थाई सेवा में शासकीय सेवक’’ से अभिप्रेत है, ऐसा शासकीय सेवक  जो किसी स्थाई पद को मौलिक रूप से अथवा अनन्तिम मौलिक रूप से धारण करता है, अथवा जो किसी पद पर धारणाधिकार रखता है, अथवा यदि उसका धारणाधिकार निलंबित नहीं किया गया होता तो उसका स्थायी पद पर धारणाधिकार होता ; 
(छ) ’’विश्रामावकाश विभाग’’ से अभिप्रेत है, ऐसा विभाग या विभाग का वह  भाग, जिसमें नियमित विश्रामावकाश की अनुमति इस अवधि में दी जाती   है, जिसमें विभाग में सेवारत शासकीय सेवकों को अपने कर्तव्य से अनुपस्थित रहने की अनुमति दी गई हो ।
(2) यहॉं प्रयुक्त शब्द एवं अभिव्यक्तियॉं जो अपरिभाषित है किन्तु मूलभूत नियमों में परिभाषित है का क्रमशः वही अर्थ होगा जो मूलभूत नियमों में उनके लिए समुनदेशित है । 
4. अस्थाई स्थानान्तरण पर या बाह्यसेवा पर शासकीय सेवक -  (1) शासकीय सेवक जिन्हें ये नियम लागू होते हैं केन्द्र शासन या किसी अन्य राज्य शासन या केन्द्र शासित प्रदेश में अस्थाई स्थानान्तरण के दौरान या भारत में बाह्यसेवा के समय, इन्हीं नियमों द्वारा निरंतर शासित होंगे। 
 (2) ऐसे शासकीय सेवकों के मामले में जो भारत के बाहर बाह्यसेवा (भारत में या भारत के बाहर यू0एन0 अभिकरण की सेवा को शामिल कर) में या केन्द्रीय सशस्त्र बल में अस्थाई स्थानान्तरण पर हो, ये नियम, यथास्थिति, केवल बाह्यसेवा या अस्थाई स्थानान्तरण के निबंधन एवं शर्तो में उपबंधित सीमा तक लागू होंगे। 
5. अन्य अवकाश नियमों द्वारा शासित सेवाओं अथवा पदों से स्थानान्तरण -  जब तक कि इन नियमों में अन्यथा उपबंधित न हो, स्थायी शासकीय सेवक जिसे ये नियम लागू नहीं होते हैं :- 
 (क) जब किसी ऐसी सेवा या पद पर अस्थायी रुप से स्थानांतरित हों, जिसमें ये नियम लागू होते है उन अवकाश नियमो के अध्यधीन बने रहेंगे जो ऐसे स्थानान्तरण के पूर्व उस पर लागू थे ; और 
(ख) जब वह किसी ऐसे स्थाई पद पर मौलिक रूप से नियुक्त हों, जिसे ये नियम लागू होते हैं, तो ऐसी नियुक्ति की तिथि से इन नियमो के अध्यधीन होंगे, ऐसे मामले में उस पर पूर्व में लागू नियमों के अधीन उसके खाते में जमा अवकाश नियम 25 में दिये गये अनुसार संचय की अधिकतम सीमा के अध्यधीन कैरी फारवर्ड किये जायेंगे। कैरी फारवर्ड किये गये अवकाश के संबंध में, अवकाश वेतन का वहन उस विभाग या शासन द्वारा किया जायेगा जहाँ से शासकीय सेवक, अवकाश पर प्रस्थान करता है ।

अध्याय - दो 
सामान्य शर्ते 
6. अवकाश का अधिकार - 
(1) अधिकार के रुप में अवकाश का दावा नही किया जा सकता ।   
(2) जब लोक सेवा की अत्यावश्यकताओं को देखते हुए ऐसा किया जाना अपेक्षित हो तो, इसकी स्वीकृति हेतु सक्षम प्राधिकारी द्वारा किसी भी प्रकार के अवकाश को अस्वीकृत या प्रत्याहृत किया जा सकेगा, किन्तु शासकीय सेवक के लिखित अनुरोध को छोड़कर, उस प्राधिकारी को किसी भी देय तथा आवेदित अवकाश के प्रकार बदलने की छूट नहीं होगी ।
7. अवकाश के दावे का विनियमन - शासकीय सेवकों के अवकाश का दावा, एसेे नियमों से विनियमित होगा जो अवकाश का आवेदन करने एवं स्वीकृति के समय प्रवृत्त हो ।
8. पदच्युति, निष्कासन अथवा त्यागपत्र का जमा अवकाश पर प्रभाव -
(1) शासकीय सेवक का, जिसे शासकीय सेवा से पदच्युत अथवा निष्कासित किया गया हो या जो शासकीय सेवा से त्यागपत्र देता हो, ऐसे पदच्युति, निष्कासन अथवा त्यागपत्र की तिथि से जमा अवकाश पर कोई भी दावा नही होगा। 
(2) जहाँ,शासकीय सेवक अपने पैतृक कार्यालय अथवा विभाग के बाहर राज्य शासन के अधीन किसी अन्य पद के लिये आवेदन करता है और यदि ऐसा आवदेन उचित माध्यम से अग्रेषित किया जाता है तथा आवेदक को नया पद ग्रहण करने के पूर्व अपने पद से त्यागपत्र देना अपेक्षित होता है तो ऐसे त्यागपत्र के कारण उसके खाते में जमा अवकाश व्यपगत नहीं होगा । 
(3) शासकीय सेवक जिसे सेवा से पदच्युत अथवा निष्कासित किया गया है और अपील या पुनरीक्षण पर बहाल किया जाता है तो यथास्थिति ऐसी पदच्युति अथवा निष्कासन के पूर्व की उसकी सेवा को अवकाश हेतु संगणित कराने की पात्रता होगी ।
(4) शासकीय सेवक जो क्षतिपूर्ति या निर्योग्यता पेंशन अथवा उपादान (ग्रेज्युटी) पर सेवानिवृत्त होने के उपरांत पुनर्नियुक्त होता है तथा उसकी पूर्व की सेवा, पेंशन के लिए संगणित करने की अनुमति दी जाती है तो उसकी पूर्व की सेवा अवकाश के लिए संगणित कराने की पात्रता होगी।
9. एक प्रकार के अवकाश का दूसरे प्रकार के अवकाश में परिवर्तन - 
(1) शासकीय सेवक के निवेदन पर ऐसा प्राधिकारी जिसने उसका अवकाश स्वीकृत किया था, उस अवकाश को भूतलक्षी प्रभाव से किसी अन्य ऐसे अवकाश में परिवर्तित कर सकता है, जो उसे अवकाश स्वीकृति के समय देय तथा स्वीकार्य था, कर्मचारी की सेवा समाप्ति के पश्चात ऐसा परिवर्तन नहीं किया जा सकेगा। शासकीय सेवक ऐसे परिवर्तन को अधिकार के रूप में दावा नहीं कर सकेगा।
(2) शासकीय सेवक को अंतिम रूप से स्वीकृत अवकाश के आधार पर, एक प्रकार के अवकाश का दूसरे प्रकार में परिवर्तन, देय अवकाश वेतन के समायोजन के अध्यधीन होगा, अर्थात उससे अधिक भुगतान की गई राशि वसूल की जायेगी अथवा उसे देय किसी बकाया राशि का भुगतान किया जायेगा ।  
टिप्पणी- नियम 30 के उपबंधो के अध्यधीन रहते हुए, चिकित्सा प्रमाणपत्र पर अथवा अन्यथा स्वीकृत किये गये असाधारण अवकाश को भूतलक्षी प्रभाव से अदेय अवकाश में परिवर्तित किया जा सकेगा । 
10. विभिन्न प्रकार के अवकाश का संयोजन.- इन नियमों में अन्यथा उपबंधित के सिवाय, इन नियमों के अधीन किसी भी प्रकार का अवकाश, किसी अन्य पक्रार के अवकाश के साथ संयोजित करते हुए या उसके अनुक्रम में स्वीकृत किया जा सकेगा ।
व्याख्या- आकस्मिक अवकाश या ऐच्छिक अवकाश जिसे इन नियमों के अंतर्गत अवकाश के रूप  में मान्य नहीं किया गया है, को इन नियमों के अधीन स्वीकार्य किसी अन्य प्रकार के अवकाश के साथ संयोजित नहीं किया जायेगा। 
11. कर्तव्य से अनुपस्थिति की अधिकतम अवधि * - 
(1) शासकीय सेवक को तीन वर्षो से अधिक निरंतर अवधि का किसी प्रकार का अवकाश स्वीकृत नहीं किया जायेगा ।
(2) कोई शासकीय सेवक, अवकाश सहित या बिना अवकाश के, बाह्य सेवा से भिन्न, तीन वर्ष से अधिक निरंतर अवधि के लिये  कर्त्त्वय से अनुपस्थित रहता है तो उसे शासकीय सेवा से त्यागपत्र दिया हुआ समझा जायेगा जब तक कि राज्यपाल, प्रकरण की आपवादिक परिस्थितियों को देखते हुए अन्यथा निर्धारित न करे :
     परन्तु उप-नियम (2) के प्रावधानों को लागू करने के पूर्व उस शासकीय सेवक को ऐसी अनुपस्थिति के कारणों को स्पष्ट करने हेतु युक्तियुक्त अवसर दिया जायेगा।
(*वित्त निर्देश 49, दिनांक 01 अगस्त, 2013 द्वारा प्रतिस्थापित तथा वित्त निर्देश 15, दिनांक 22 मार्च, 2018 द्वारा पांच वर्ष तीन वर्ष से प्रतिस्थापित))
12. अवकाश पर रहते हुए सेवा या नियोजन स्वीकार करना - 
(1)शासकीय सेवक (उस शासकीय सेवक को छोड़कर जिसे सीमित निजी व्यवसाय (प्रेक्टिस) करने की अनुमति दी गई है अथवा जिसे सामयिक साहित्यिक कार्य या परीक्षक के रूप में सेवा अथवा समरूप नियोजन स्वीकार करने की अनुमति दी गई है) अवकाश पर रहते हुए, जिसमें सेवानिवृत्ति पूर्व अवकाश शामिल है, अन्यत्र कोई सेवा या नियोजन, जिसमें लेखापाल, परामर्शदात्री अथवा विधि या चिकित्सा व्यवसायी के रूप में निजी व्यवसाय स्थापित करना सम्मिलित है, निम्न प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृत प्राप्त किये बिना स्वीकार नहीं करेगा - 
(क) राज्यपाल की, यदि प्रस्तावित सेवा अथवा नियोजन भारत के बाहर कहीं है ; अथवा 
(ख) उसे नियुक्त करने हेतु सशक्त प्राधिकारी की, यदि प्रस्तावित सेवा अथवा नियोजन भारत में है। 
(2) शासकीय सेवक को, सेवानिवृत्ति पूर्व अवकाश को छोड़कर, अवकाश पर रहते हुए सामान्यतः किसी अन्य सेवा या नियोजन ग्रहण करने की अनुमति नहीं दी जायेगी । 
(3) सेवानिवृत्ति पूर्व अवकाश पर रहते हुए, शासकीय सेवक को निजी नियोजन ग्रहण करने की अनुमति नहीं दी जायेगी । तथापि, यदि, शासकीय सेवक को सेवानिवृत्ति पूर्व अवकाश पर रहते हुए किसी सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम अथवा नियम 33 के उप-नियम (2) में निर्दिष्ट किसी निकाय में नियोजन की अनुमति दी जाती है, तो उस स्थिति में भी सेवानिवृत्ति पूर्व अवकाश हेतु भुगतान योग्य वेतन की पात्रता वही होगी जो नियम 36 के अंतर्गत अनुज्ञेय है । 
(4) वह शासकीय सेवक जो सेवानिवृत्ति पूर्व अवकाश पर चला गया है, उसकी यदि सेवानिवृत्ति तिथि के पूर्व, ऐसे अवकाश पर रहते हुए, भारत में अथवा भारत के बाहर, राज्य शासन के अधीन किसी पद पर नियोजन हतेु आवश्यकता होती है, तो पुनः कार्यभार ग्रहण की तिथि से अवकाश के शेष भाग को निरस्त कर दिया जाएगा । 

अध्याय - तीन 
अवकाश की स्वीकृति तथा अवकाश से वापसी 
13. अवकाश हेतु आवेदन - 
(1) * संतान पालन अवकाश को छोड़कर, अवकाश अथवा अवकाश में वृद्धि हेतु आवेदन, प्रपत्र-1 में प्रस्तुत किया जाना चाहिये तथा संतान पालन अवकाश अथवा अवकाश में वृद्धि हेतु आवेदन, प्रपत्र-1अ में, सक्षम प्राधिकारी को ऐसे अवकाश अथवा अवकाश में वृद्धि स्वीकृत करने हेतु प्रस्तुत किया जाना चाहिये।
(2) अस्वस्थता के अलावा अन्य किसी आधार पर अवकाश हेतु आवेदन, उस तिथि से कम से कम तीन सप्ताह पूर्व प्रस्तुत किया जाना चाहिए। तथापि, यदि सेवानिवृत्ति पूर्व अवकाश हेतु आवेदन किया जाता है, तो यह सीमा छः सप्ताह की होगी । अवकाश स्वीकृति हेतु सक्षम प्राधिकारी अपने स्वविवेक से विलम्ब से प्राप्त आवेदन स्वीकार कर सकेंगे। 
(* वित्त निर्देश 52, दिनांक 04 अक्टूबर, 2018 द्वारा प्रतिस्थापित) 
14. अवकाश लेखा - प्रत्येक शासकीय सेवक के लिए, कार्यालय प्रमुख द्वारा प्रपत्र-2 में एक अवकाश लेखा संधारित किया जायेगा । 
15. अवकाश के स्वत्व का सत्यापन - 
(1) शासकीय सेवक को तब तक अवकाश स्वीकृत नहीं किया जाएगा, जब तक कि अवकाश लेखा संधारित करने वाले प्राधिकारी से उसकी पात्रता के संबंध में प्रतिवेदन प्राप्त न हो जाये। अवकाश स्वीकृति आदेश में, शासकीय सेवक के खाते में जमा अर्जित अवकाश/अर्धवेतन अवकाश के शेष को दर्शाया जाएगा। 
(2) (क) जहां यह मानने का पर्याप्त कारण हो कि पात्रता संबंधी रिपोर्ट प्राप्त होने में अनावश्यक विलंब होगा, अवकाश स्वीकृति हेतु सक्षम प्राधिकारी, उपलब्ध जानकारी के आधार पर, शासकीय सेवक के अवकाश की पात्रता की गणना कर सकेगा तथा साठ दिन से अनधिक अवधि के लिये अनन्तिम अवकाश स्वीकृति आदेश जारी कर सकेगा । 
(ख) इस उप-नियम के अंतर्गत अवकाश की स्वीकृति, अवकाश लेखा संधारित करने वाले प्राधिकारी द्वारा सत्यापन के अध्यधीन होगा तथा जहाँ आवश्यक हो, उस अवधि हेतु संशोधित स्वीकृति आदेश जारी किया जा सकेगा ।
16. कुछ परिस्थितियों में अवकाश स्वीकृत न किया जाना - ऐसे शासकीय सेवक का अवकाश स्वीकृत नही किया जायेगा जिसे सक्षम दाण्डिक प्राधिकारी ने शासकीय सेवा से पदच्युत करने, हटाने अथवा अनिवार्य सेवानिवृत्त करने का निर्णय ले लिया है । 
17. चिकित्सा प्रमाणपत्र पर शासकीय सेवक को अवकाश की स्वीकृति - 
(1) शासकीय सेवक द्वारा प्रस्तुत चिकित्सा प्रमाणपत्र के आधार पर अवकाश हेतु आवेदन-पत्र के साथ प्राधिकृत चिकित्सा परिचारक अथवा पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी द्वारा प्रपत्र-3 पर दिये गये चिकित्सा प्रमाण पत्र संलग्न करना होगा, जिसमें बीमारी की प्रकृति तथा संभावित अवधि को यथा संभव स्पष्ट रूप से परिभाषित करना चाहिए। ऐसा आवेदन पत्र, जहाँ तक संभव हो, की अवधि जिसके लिये अवकाश आवेदित है, के प्रारंभ होने के पूर्व अथवा के दौरान प्रस्तुत करना होगा:  
     परन्तु, आपवादिक परिस्थतियों में, जहाँ शासकीय सेवक के लिए उपरोक्त समय-सीमा में आवेदन पत्र प्रस्तुत करना यथोचित आधार पर व्यावहारिक न हो, इसे आवेदित अवकाश की अवधि प्रारंभ होने के दिनांक से सात दिनों के पश्चात् प्रस्तुत नही किया जा सकेगा:
     परन्तु यह और भी कि, आपवादिक परिस्थितियों में, जहाँ अवकाश स्वीकृत करने हेतु सक्षम प्राधिकारी का यह समाधान हो जाए कि शासकीय सेवक के लिए अवकाश आवेदन-पत्र के साथ अपेक्षित चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना यथोचित रूप से यथासाध्य नहीं था, वहां वह अपने स्वविवेक से ऐसे शासकीय सेवक द्वारा चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने हेतु, आवेदित अवकाश की कालावधि के प्रारंभ होने की तिथि से सात दिनों के अनधिक विलंब का दोषमार्जन (छूट) कर सकेगा ।  
(2) चिकित्सा प्राधिकारी, ऐसे किसी प्रकरण में अवकाश स्वीकृत करने की अनुशंसा नही करेगा जिसमें यथोचित प्रत्याशा प्रकट न होती है कि संबधित शासकीय सेवक अपना कार्य ग्रहण करने हेतु कभी भी योग्य होगा, और ऐसे मामले में राय होगी कि शासकीय सेवक शासकीय सेवा हेतु स्थायी रुप से अयोग्य है वहॉं चिकित्सा प्रमाणपत्र में यह अभिलिखित किया जायेगा ।
(3) अवकाश स्वीकृत करने हेतु सक्षम प्राधिकारी अपने स्वविवेक से, किसी शासकीय चिकित्सा अधिकारी, जो सिविल सर्जन से निम्न श्रेणी का न हो, से यथासंभव शीघ्र आवेदक की स्वास्थ्य परीक्षा करने हेतु अनुरोध करते हुए द्वितीय चिकित्सा अभिमत प्राप्त कर सकेगा । 
(4) उप-नियम (3) में निर्दिष्ट शासकीय चिकित्सा अधिकारी का यह कर्तव्य होगा कि वह बीमारी के तथ्यों तथा अनुशंसित अवकाश की आवश्यक मात्रा के संबंध में अपना अभिमत व्यक्त करें तथा इस प्रयोजन के लिए चाहे वह आवेदक को उसके समक्ष अथवा उसके द्वारा नामांकित चिकित्सा अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने की अपेक्षा कर सकेगा । 
(5) इस नियम के अधीन स्वीकृत चिकित्सा प्रमाणपत्र, संबंधित शासकीय सेवक को स्वयमेव अवकाश का कोई अधिकार प्रदान नहीं करता है, चिकित्सा प्रमाणपत्र, अवकाश स्वीकृत करने हेतु सक्षम प्राधिकारी को अग्रेषित किया जायेगा तथा उस प्राधिकारी के आदेश की प्रतीक्षा की जायेगी ।
(6) अवकाश स्वीकृति हेतु सक्षम अधिकारी अपने स्वविवेक से, एक समय में सात दिन से अनधिक अवधि के अवकाश हेतु, आवेदन पत्र के मामले में चिकित्सा प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने से छूट प्रदान कर सकेगा । तथापि, ऐसा अवकाश, चिकित्सा प्रमाणपत्र पर लिया गया अवकाश नहीं माना जायेगा तथा चिकित्सा कारणों से अवकाश से भिन्न अवकाश के विरूद्व विकलित किया जायेगा।  
18. उस शासकीय सेवक को अवकाश, जिसकी स्वस्थ होकर कर्तव्य पर वापस आने की संभावना न हो-
(1) (क) जब चिकित्सा अधिकारी ने यह प्रतिवेदित किया हो  कि शासकीय सेवक के स्वस्थ होकर कर्तव्य पर वापस लौटने की यथोचित संभावना नहीं है तो ऐसे शासकीय सेवक का अवकाश अनिवार्यतः अस्वीकृत नहीं किया जायेगा ।
(ख) अवकाश यदि देय हो तो निम्नलिखित शर्ताे पर अवकाश स्वीकृत करने वाले सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्वीकृत किया जा सकेगा:- 
(एक) यदि चिकित्सा अधिकारी निश्चित रूप से यह कहने में असमर्थ है कि शासकीय सेवक फिर कभी भी सेवा के योग्य नहीं होगा, ऐसा अवकाश स्वीकृत कर सकेगा जो कुल बारह माह से अधिक न हो तथा बिना किसी चिकित्सा प्राधिकारी को पुनः संदर्भित किये, ऐसे अवकाश को आगे नहीं बढ़ाया जायेगा ।
(दो) यदि शासकीय सेवक को किसी चिकित्सा प्राधिकारी द्वारा आगे की सेवा हेतु पूर्णतः और स्थाई रूप से अयोग्य घोषित किया जाता है तो चिकित्सा प्राधिकारी से प्रतिवेदन प्राप्त होने के पश्चात् ही, अवकाश अथवा अवकाश में वृद्वि स्वीकृत की जा सकेगी, परंतु चिकित्सा प्राधिकारी के प्रतिवेदन की तिथि से आगे की किसी कर्तव्य अवधि के साथ अवकाश खाते में विकलित अवकाश की अवधि, छः महिने से अधिक न हो ।
(2) शासकीय सेवक जिसे चिकित्सा प्राधिकारी द्वारा आगे की सेवा हेतु पूर्णतः तथा स्थाई रूप से अयोग्य घोषित किया गया है - 
(क) यदि वह कर्त्तव्य पर है तो उसके कर्त्तव्य से भार मुक्त होने के दिनांक से सेवा से अयोग्य माना जाएगा, जिसकी व्यवस्था चिकित्सा प्राधिकारी का प्रतिवेदन प्राप्त होने पर अविलंब की जानी चाहिये, तथापि, यदि उसे उप-नियम (1) के अधीन अवकाश स्वीकृत किया गया है तो ऐसे अवकाश की समाप्ति पर सेवा से अयोग्य माना जायेगा । 
(ख) यदि वह पूर्व से ही अवकाश पर है, तो उस अवकाश की अथवा उप-नियम (1) के अंतर्गत स्वीकृत अवकाश में वृद्वि, यदि कोई हो, की समाप्ति पर सेवा से अयोग्य माना जायेगा । 
19. अवकाश का प्रारंभ और समापन - नियम 20 में यथा उपबंधित के सिवाय, सामान्यतः अवकाश का प्रारंभ उस दिन से होगा जिस दिन कार्यभार का हस्तांतरण प्रभावी हो तथा उस दिन को समाप्त होगा जिस दिन कार्यभार पुनः ग्रहण किया जाये । 
20. अवकाश के साथ सार्वजनिक छुट्टियों का संयोजन - 
(1) उन मामलों को छोड़कर, जहाँ अवकाश स्वीकृत करने वाले प्राधिकारी द्वारा प्रशासकीय कारणों से अवकाश के पहले और/अथवा बाद में  अवकाश (अवकाशों) को जोड़ने की अनुमति विशेष रूप से रोकी गई है, जिस दिन शासकीय सेवक का अवकाश प्रारंभ होता है उस दिन के ठीक पहले दिन अथवा जिस दिन शासकीय सेवक का अवकाश समाप्त होता है उस दिन के ठीक दूसरे दिन सार्वजनिक अवकाश है या सार्वजनिक अवकाशों की कोई श्रृंखला है तो शासकीय सेवक ऐसे सार्वजनिक अवकाश अथवा सार्वजनिक अवकाशों की श्रृंखला के पहले वाले दिन की कार्यावधि समाप्ति के पश्चात् मुख्यालय छोड़ सकता है, अथवा उसके दूसरे दिन वापस आ सकता है।
(2) चिकित्सा प्रमाणपत्र के आधार पर अवकाश के प्रकरण में - 
(क) जब शासकीय सेवक को कार्यालय में उपस्थित होने हेतु चिकित्सीय आधार पर अयोग्य घोषित किया गया हो तो ऐसे प्रमाणपत्र की तिथि के ठीक पूर्ववर्ती दिन के लिये सार्वजनिक अवकाश (अवकाशों) यदि कोई हो, उसे स्वयमेव अवकाश मेंं जोड़ दिया जायेगा और ऐसे प्रमाणपत्र (उस तिथि को शामिल करते हुए) की तिथि के ठीक बाद में पड़ने वाले सार्वजनिक अवकाश (अवकाशों) के दिन को अवकाश का भाग माना जायेगा । 
(ख) जब एक शासकीय सेवक को कर्तव्य पर उपस्थित होने के लिये चिकित्सीय आधार पर योग्य प्रमाणित किया गया हो, ऐसे प्रमाणपत्र (उस दिन को शामिल करते हुए) के ठीक बाद के दिन में पड़ने वाले सार्वजनिक अवकाश को स्वयमेव अवकाश मे जोड़ दिया जायेगा और ऐसे प्रमाणपत्र की तिथि के पहले पड़ने वाले शासकीय अवकाश के दिनों को अवकाश का भाग माना जायेगा। 
(3) यदि अवकाश के पूर्व सार्वजनिक अवकाश जोड़ा जाता है, तो अवकाश तथा इसके फलस्वरूप वेतन भत्ते में किसी पुनर्व्यवस्था का प्रभाव सार्वजनिक अवकाश के अगलेे दिन से होगा ।
(4) यदि अवकाश में सार्वजनिक अवकाश जोड़ा जाता है तो, अवकाश की समाप्ति तथा इसके फलस्वरूप  वेतन भत्ते में किसी पुनर्व्यवस्था का प्रभाव उस दिन से होगा जिस दिन शासकीय अवकाश के न जोड़े जाने की स्थिति में अवकाश समाप्त होता ।
21. खाते में जमा अवकाश की सूचना - शासकीय सेवक के अर्जित अवकाश/अर्धवेतन अवकाश स्वीकृति आदेश में, उसके खाते में शेष बचे अवकाश का उल्लेख होगा ।
22. अवकाश समाप्ति के पूर्व कर्त्तव्य पर वापस बुलाना - शासकीय सेवक जो अवकाश पर है, यदि अवकाश समाप्ति के पूर्व कर्त्तव्य पर वापस बुलाया जाता है तो उसे निम्नानुसार पात्रता होगी:- 
(क) यदि अवकाश जिससे वह वापस बुलाया गया है भारत में है तो, वह उस तिथि से कर्त्तव्य पर माना जायेगा जिस दिन पर उसे आदेश प्राप्त होता है और वह यात्रा प्रारंभ करता है, तथा वह - 
(एक) उस यात्रा के लिये यात्रा भत्ता, इस विषय में बनाये गये नियमों के अंतर्गत प्राप्त करेगा ; और 
(दो) जब तक वह अपना पद ग्रहण नहीं करता है, अवकाश वेतन, उस दर से प्राप्त करेगा जिस दर से कर्त्तव्य पर वापस न बुलाने की स्थिति में प्राप्त करता। 
(ख) यदि अवकाश जिससे वह वापस बुलाया गया है भारत से बाहर है तो, वह उस तिथि से कर्त्तव्य पर माना जायेगा जिस तिथि को भारत के लिये यात्रा प्रारंभ करता है, तथा वह निम्नानुसार प्राप्त करेगा - (एक) भारत तक की यात्रा तथा भारत पहुँचने की तिथि से अपना पद  ग्रहण करने की तिथि की पूर्ववर्ती तिथि तक, अवकाश वेतन, उस दर से, जिस दर से कर्त्तव्य पर वापस न बुलाने की स्थिति में प्राप्त करता ;
(दो) भारत पहुंचने तक की निःशुल्क यात्रा सुविधा ; 
(तीन) भारत से की गई यात्रा के किराये की वापसी, यदि उसने वापस बुलाये जाने पर भारत के लिये यात्रा प्रारंभ करने की तिथि तक अपने अवकाश का आधा समय अथवा तीन मास, जो भी कम हो, व्यतीत नहीं किया है ; 
(चार) भारत में अवतरण के स्थान से कर्त्तव्यस्थल तक की यात्रा हेतु तत्समय प्रवृत्त नियमों के अधीन यात्रा भत्ता । 
23. अवकाश से वापसी - 
(1) कोई भी शासकीय सेवक उसे स्वीकृत अवकाश की कालावधि की समाप्ति के पूर्व तब तक कर्त्तव्य पर वापस नहीं लौटेगा, जब तक कि उसका अवकाश स्वीकृत करने वाला प्राधिकारी उसे ऐसा करने की अनुमति नहीं देता । 
(2) उप-नियम (1) में किसी बात के अंतर्विष्ट होते हुए भी, सेवानिवृत्ति पूर्व अवकाश पर रहतेे हुये कोई भी शासकीय सेवक जिस पद से सेवानिवृत्ति पूर्व अवकाश पर गया था, उस पद पर नियुक्त करने हेतु सक्षम प्राधिकारी की सम्मति के सिवाय कर्तव्य पर वापस लौटने से वंचित किया जायेगा । 
(3) शासकीय सेवक जिसने चिकित्सा प्रमाणपत्र के आधार पर अवकाश लिया है तब तक कर्त्तव्य पर उपस्थित नहीं होगा जब तक कि प्रपत्र-4 में स्वस्थता प्रमाणपत्र प्रस्तुत नहीं कर देता । 
(4) (क) अवकाश से वापस लौटने वाले शासकीय सेवक को उस पद को जिसे वह अवकाश में जाने के पूर्व धारण करता था इस आशय के विशिष्ट आदेशों के अभाव में स्वाभाविक रूप से पुनः धारण करने की पात्रता नहीं होगी । 
(ख) ऐसा शासकीय सेवक अपने कर्तव्य पर लौटने की सूचना उस प्राधिकारी को देगा जिसने उसे अवकाश स्वीकृत किया था अथवा उस प्राधिकारी को देगा, यदि कोई, अवकाश स्वीकृति आदेश में विनिर्दिष्ट हो और उसके आदेश की प्रतीक्षा करेगा ।
टिप्पणी- ऐसे शासकीय सेवक को, जो क्षय रोग से पीड़ित है, फिटनेस  प्रमाणपत्र के आधार पर जिसमें उसके लिये हल्के कार्य की अनुशंसा की गई है, उपस्थित होने की अनुमति दी जा सकेगी ।
24. अवकाश समाप्ति के पश्चात अनुपस्थिति - 
(1) जब तक अवकाश स्वीकृत करने हेतु सक्षम प्राधिकारी अवकाश में वृद्धि स्वीकृत न करे, ऐसे शासकीय सेवक को जो अवकाश समाप्त होने के पश्चात अनुपस्थित रहता है, ऐसी अनुपस्थिति की अवधि जो अवकाश की स्वीकृति द्वारा आच्छादित नहीं है, समस्त उद्देश्यों के लिए जिसमें अवकाश भी शामिल है, ‘अकार्य दिवस’ माना जाएगा । ऐसी अनुपस्थिति की कालावधि के लिये उसे अवकाश वेतन की पात्रता नहीं होगी तथा वह अवधि उसके अवकाश खाते के विरुद्ध देय अवकाश की सीमा तक इस प्रकार से विकलित की जायेगी जैसे की वह अर्धवैतनिक अवकाश पर था, इस प्रकार से देय अवकाश से अधिक कालावधि, असाधारण अवकाश के समान मानी जायेगी ।
 (2) अवकाश समाप्ति के पश्चात कर्त्तव्य से जानबूझकर अनुपस्थित रहने वाला शासकीय सेवक अनुशासनात्मक कार्यवाही का भागी होगा ।

अध्याय - चार
देय और स्वीकार्य अवकाशों के प्रकार 
25. विश्रामावकाश विभाग को छोड़कर, अन्य विभागो में सेवारत शासकीय सेवकों को अर्जित अवकाश-
(1)(क)(एक) विश्रामावकाश विभाग को छोड़कर अन्य विभागो में सेवारत प्रत्येक शासकीय सेवक के अवकाश खाते में प्रत्येक कैलेंडर वर्ष में पहली जनवरी और पहली जुलाई को 15-15 दिनों की दो किश्तो में अग्रिम अर्जित अवकाश जमा किया जायेगा । 
(दो) यदि कोई शासकीय सेवक पूर्ण पदग्रहण काल का उपभोग किये बिना निम्न कारणों से किसी नये पद को ग्रहण करता है- 
(क) उसे अपने स्वत्वानुसार पूर्ण पदग्रहण काल का उपभोग किये बिना किसी नये स्थान पर नया पद ग्रहण करने हेतु आदेशित किया जाता है, अथवा 
(ख) वह अकेले नये पदस्थापना स्थल पर जाता है और पूर्ण पदग्रहण काल का लाभ उठाये बिना पद ग्रहण करता है और बाद में परिवार के लिए यात्रा भत्ता का दावा प्रस्तुत करने हेतु मान्य अवधि के भीतर अपना परिवार ले जाता है ;
     छत्तीसगढ़ सिविल सेवाएं (पदग्रहण काल) नियम,1982 के नियम 5 के उप-नियम (4) के अधीन, अधिकतम 15 दिनों तक के यथास्वीकार्य पदग्रहण काल के दिनों की संख्या में से वास्तविक रूप से उपभोग किये गये दिनों की संख्या कम करते हुए, अर्जित अवकाश के रुप में  उसके अवकाश खाते में समाकलित किया जायेगा :
     परंतु इस प्रकार जमा हेतु स्वीकृत पदग्रहण काल के उपभोग नही किये जाने सहित उसके खाते में जमा अर्जित अवकाश 300 दिनों से अधिक नहीं होगा ।
(ख) पिछली छःमाही की समाप्ति पर शासकीय सवेक के खाते में जमा अवकाश को इस शर्त के अध्यधीन रहते हुए आगामी छःमाही में कैरी फारवर्ड किया जायेगा कि इस प्रकार से कैरी फारवर्ड किये गये अवकाश तथा छःमाही में जमा अवकाश का योग 300 दिनों की अधिकतम सीमा से अधिक नहीं होगा:
     परंतु यह कि जहां दिसबंर एवं जून के अंतिम दिन शासकीय सेवक के खाते में जमा अर्जित अवकाश 300 दिन या उससे कम किन्तु 285 दिन (पिछली छःमाही के दौरान अर्जित अवकाश खाते में जमा पदग्रहण काल के उपभोग न किये जाने को छोड़कर ) से अधिक है तो जनवरी एवं जुलाई की पहली तिथि को जमा 15 दिन का अर्जित अवकाश खंड (ख) के अधीन उल्लेखित रीति से अवकाश लेखे में जमा करने के स्थान पर, पृथक से रखा जायेगा एवं शासकीय सेवक द्वारा उस छःमाही में लिये गये अर्जित अवकाश के विरूद्ध पहले समायोजित होगा, और यदि कोई शेष हो, तो उसे छःमाही की समाप्ति पर इस शर्त के अध्यधीन कि ऐसा अर्जित अवकाश तथा पूर्व से जमा अर्जित अवकाश का शेष 300 दिन की अधिकतम सीमा से अधिक न हो, अवकाश खाते में जमा किया जायेगा। 
(2) यदि शासकीय सेवक, उस अर्ध कैलेंडर वर्ष के किसी भी शेष अंतिम दिन को अवकाश पर है तो वह उस प्रथम छःमाही पर जमा अर्जित अवकाश के लिए पात्र होगा, परंतु अवकाश स्वीकृत करने वाले सक्षम प्राधिकारी के पास विश्वास करने का यह कारण हो कि शासकीय सेवक इसकी समाप्ति पर कर्तव्य पर लौट आयेगा।
(3) किसी शासकीय सेवक को एक समय में अधिकतम 180 दिन का अर्जित अवकाश स्वीकृत किया जा सकेगा।
26. अर्जित अवकाश की गणना -
(1) किसी शासकीय सेवक के अवकाश खाते में, कैलेंडर वर्ष के जिस छःमाही में उसकी नियुक्ति हुई है, में की जाने वाली संभावित सेवा के लिये प्रत्येक पूर्ण कैलेंडर माह की सेवा हेतु  दिन की दर से अर्जित अवकाश जमा किया जायेगा। 
(2) (क) जिस छःमाही के लिए शासकीय सेवक सेवानिवृत्त होने वाला है अथवा वह सेवा से त्यागपत्र देता है, तो ऐसी सेवानिवृत्ति अथवा त्यागपत्र की तिथि तक प्रत्येक पूर्ण कैलेंडर माह हेतु  दिन की दर से अर्जित अवकाश जमा किया जायेगा।
(ख) जब किसी शासकीय सेवक को सेवा से निष्कासित अथवा पदच्युत किया गया हो अथवा सेवा में रहते हुए उसकी मृत्यु हो गई हो, तो उसके अवकाश खाते में, जिस कैलेंडर माह में उसे सेवा से निष्कासित अथवा पदच्युत किया गया हो, अथवा सेवा में रहते हुये उसकी मृत्यु हो गई हो, से पिछली कैलेंडर माह की समाप्ति तक प्रत्येक पूर्ण कैलेंडर माह के लिए  दिन प्रतिमाह की दर से अर्जित अवकाश जमा किये जाने की अनुमति दी जायेगी।
(3) यदि किसी छःमाही में शासकीय सेवक द्वारा असाधारण अवकाश का उपभोग किया गया हो तथा/या अनुपस्थिति की कुछ अवधि ‘अकार्य दिवस’ की तरह मानी गयी हो, तो आगामी छःमाही के प्रारंभ पर उसके अवकाश खाते में जमा किये जाने वाले अवकाश में से, ऐसे अवकाश तथा/या अकार्य दिवस की अवधि का 1/10 वां भाग कम कर दिया जाएगा, किन्तु यह 15 दिन की अधिकतम सीमा के अध्यधीन होगा।
(4) अर्जित अवकाश को खाते में जमा करते समय एक दिन के अपूर्णांक को निकटस्थ दिन में पूर्णांकित किया जायेगा अर्थात् आधे से कम अपूर्णांक को छोड़ दिया जायेगा और आधे या उससे अधिक को एक दिन संगणित किया जायेगा।
27. विश्रामावकाश विभाग में सेवारत व्यक्तियों को अर्जित अवकाश - 
(1)(क) विश्रामावकाश विभाग में सेवारत व्यक्ति के अवकाश खाते में प्रत्येक वर्ष पहली जनवरी तथा पहली जुलाई को दो किश्तों में पांच - पांच दिनों का अर्जित अवकाश अग्रिम जमा किया जायेगा।
(ख) यदि किसी छःमाही में विश्रामावकाश विभाग में सेवारत व्यक्ति द्वारा असाधारण अवकाश का उपभोग किया गया हो तथा/या अनुपस्थिति की कुछ अवधि ‘अकार्य दिवस’ की तरह मानी गयी हो, तो आगामी छःमाही के प्रारंभ पर उसके अवकाश खाते में जमा किये जाने वाले अवकाश में से ऐसे अवकाश तथा/या अकार्य दिवस की अवधि का 1/30 वां भाग कम कर दिया जायेगा, किन्तु इसकी अधिकतम सीमा 5 दिन के अध्यधीन होगी ।
(ग) विश्रामावकाश विभाग में कार्यरत व्यक्तियों की जिस छःमाही में नियुक्ति/ सेवा समाप्ति होती है, उसकी नियुक्ति/ सेवा समाप्ति की छःमाही में की गई सेवा के प्रत्येक पूर्ण माह के लिये 5/6 दिन प्रतिमाह की दर से अर्जित अवकाश जमा किये जाने की अनुमति दी जायेगी।
(2) उप-नियम (1) के उपबंधों के अध्यधीन, विश्रामावकाश विभाग में सेवारत शासकीय सेवक को उस वर्ष की सेवा के लिए, जिस वर्ष उसने पूर्ण विश्रामावकाश का उपभोग किया है उस वर्ष में कर्तव्य निर्वहन के लिए किसी भी अर्जित अवकाश की पात्रता नहीं होगी।
(3) (क) उस वर्ष जिसमें शासकीय सेवक विश्रामावकाश का आंशिक  उपभोग करता है, अर्जित अवकाश की पात्रता 20 दिन के ऐसे अनुपात में होगी जो उपभोग न किये गये विश्रामावकाश के दिनों तथा संपूर्ण विश्रामावकाश के दिनों में हो।
(ख) यदि किसी वर्ष, शासकीय सेवक किसी विश्रामावकाश का उपभोग नहीं करता है तो उसे उस वर्ष के लिये अर्जित अवकाश की पात्रता नियम 25 के अधीन होगी; उप-नियम (1) के प्रावधानों के अनुसार उस वर्ष के संबंध में अग्रिम जमा किया गया अर्जित अवकाश नियम 25 के अधीन इस प्रकार जमा किये गये अर्जित अवकाश के विरूद्व समायोजित किया जायेगा । 
व्याख्या- इस नियम के प्रयोजन हेतु, ‘वर्ष’ शब्द का अर्थ उस कैलेंडर वर्ष से नहीं लगाया जायेगा जिसमें कर्त्तव्य का निर्वहन किया गया है किन्तु विश्रामावकाश विभाग में किये गये 12 महीने के वास्तविक कर्त्तव्य निर्वहन से लगाया जायेगा।
टिप्पणी - (1) जब तक किसी प्राधिकारी के सामान्य या विशेष आदेश द्वारा उसे विश्रामावकाश अथवा विश्रामावकाश के किसी अंश से वंचित किया जाना अपेक्षित न हो, यह मान लिया जायेगा कि विश्रामावकाश की पात्रता रखने वाले शासकीय सेवक ने विश्रामावकाश अथवा उसके अंश का उपभोग किया है;
     परंतु यदि किसी ऐसे आदेश द्वारा उसे पन्द्रह दिन से अधिक विश्रामावकाश का लाभ उठाने से वंचित किया गया हो, तो यह मान लिया जायेगा कि उसने विश्रामावकाश के किसी भाग का उपभोग नही किया। 
टिप्पणी - (2) जब विश्रामावकाश विभाग में सेवारत कोई शासकीय सेवक एक पूर्ण वर्ष का कर्तव्य पूरा करने के पहले ही अवकाश पर जाता है, उसके अर्जित अवकाश की पात्रता की गणना उसके अवकाश पर जाने के पूर्व की वास्तविक सेवा (कर्तव्य) अवधि में पड़ने वाले विश्रामावकाश के संदर्भ में नहीं की जायेगी, किंतु गत वर्ष की सेवा पूर्ण होने की तिथि से प्रारंभ हुई वर्ष की अवधि में पड़ने वाले विश्रामावकाश के संदर्भ में किया जायेगा।
टिप्पणी - (3) विश्रामावकाश विभाग में कार्यरत शासकीय सेवक के प्रकरण में, उप-नियम (3) के अधीन अर्जित अवकाश की पात्रता, यदि कोई हो, तो यह उप-नियम (1) के अंतर्गत स्वीकार्य अर्जित अवकाश के अतिरिक्त होगा । 
(4) इस नियम के अधीन विश्रामावकाश किसी प्रकार के अवकाश के संयोजन अथवा निरंतरता में लिया जा सकता है, किन्तु लिया गया विश्रामावकाश एवं अर्जित अवकाश के कुल अवधि का योग चाहे अर्जित अवकाश के संयोजन अथवा निरंतरता में लिया गया हो या न हो, शासकीय सेवक को देय तथा नियम 25 के अधीन एक समय में स्वीकार्य अर्जित अवकाश से अधिक नही होगा।
(5) इस नियम के अधीन पिछली छःमाही की समाप्ति पर शासकीय सेवक के अवकाश खाते में जमा अर्जित अवकाश को इस शर्त के अध्यधीन आगामी छःमाही में कैरी फारवर्ड किया जायेगा जिस प्रकार से कैरी फारवर्ड  किये गये अवकाश तथा छःमाही में जमा अवकाश का योग 300 दिनों की अधिकतम सीमा से अधिक न हो।
टिप्पणी - विश्रामावकाश विभाग में सेवारत व्यक्ति को उपभोग न किये गये पदग्रहण काल के अंश को जमा करने की सुविधा, नियम 25 के उप-नियम (1) के खण्ड (क) के उपखण्ड (दो) के प्रावधानों के अनुसार स्वीकार्य होगा।
28. अर्धवेतन अवकाश - 
(1) प्रत्येक शासकीय सेवक के अर्धवेतन अवकाश खाते में प्रत्येक कैलेंडर वर्ष की पहली जनवरी और पहली जुलाई को दस-दस दिनों के दो किश्तों में अग्रिम अर्धवेतन अवकाश जमा किया जायेगा। 
(2) (क) अवकाश खाते में, कैलेंडर वर्ष के जिस छःमाही में उसकी नियुक्ति हुई है, में की जाने वाली संभावित सेवा के लिये प्रत्येक पूर्ण कैलेंडर माह की सेवा हेतु 5/3 दिन की दर से अवकाश जमा किया जायेगा।
(ख) जिस छःमाही में शासकीय सेवक का सेवानिवृत्त होने वाला है अथवा सेवा से त्यागपत्र देता है, उसके खाते में ऐसी सेवानिवृत्ति अथवा त्यागपत्र की तिथि तक प्रत्येक पूर्ण कैलेंडर माह हेतु 5/3 दिन की दर से अवकाश जमा किये जाने की अनुमति दी जायेगी।
(ग) जब किसी शासकीय सेवक को सेवा से निष्कासित अथवा पदच्युत किया गया हो अथवा सेवा में रहते हुई उसकी मृत्यु हो गई हो, तो उसके अर्धवेतन अवकाश खाते में, जिस कैलेंडर माह में उसे सेवा से निष्कासित अथवा पदच्युत किया गया हो अथवा सेवा में रहते हुये उसकी मृत्यु हो गई हो, से पिछले कैलेंडर माह की समाप्ति तक प्रत्येक पूर्ण कैलेंडर माह के लिए 5/3 दिन प्रतिमाह की दर से अवकाश जमा किये जाने की अनुमति दी जायेगी।
(घ) जहॉं किसी छःमाही में शासकीय सेवक की अनुपस्थिति अथवा निलंबन की कुछ अवधि ‘अकार्य दिवस’ की तरह मानी गयी हो तो आगामी छःमाही के प्रारंभ पर उसके अर्धवेतन अवकाश खाते में जमा किये जाने वाले अवकाश में से ऐसे ‘अकार्य दिवस’ का 1/18 वां भाग कम कर दिया जायेगा किन्तु इसकी अधिकतम सीमा 10 दिन के अध्यधीन होगी।
(3) शासकीय सेवक को इस नियम के अधीन, चिकित्सा प्रमाण पत्र पर अथवा निजी कार्य के लिये अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर ऐसा अवकाश, ऐसे चिकित्सा प्राधिकारी से चिकित्सा प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने पर दिया जायेगा, जैसा कि शासन इस संबंध में सामान्य अथवा विशिष्ट आदेश द्वारा विहित करेे तथा ऐसी अवधि से अधिक के लिए नही दिया जायेगा जो कि चिकित्सा प्राधिकारी द्वारा अनुशंसित किया गया हो । ऐसा चिकित्सा अवकाश, स्वीकृत नहीं किया जायेगा, जब तक कि अवकाश स्वीकृत करने हेतु सक्षम प्राधिकारी को यह समाधान न हो जाये कि शासकीय सेवक के ऐसे अवकाश की समाप्ति पर कर्त्तव्य पर वापस लौटने की यथोचित संभावना है। व्यक्तिगत कार्यों से भी अर्धवेतन अवकाश तब तक स्वीकृत नहीं किया जायेगा, जब तक कि अवकाश स्वीकृत करने हेतु सक्षम प्राधिकारी के पास यह विश्वास करने का कारण न हो कि शासकीय सेवक ऐसे अवकाश की समाप्ति पर कर्त्तव्य पर वापस लौट आयेगा अथवा जब तक कि अवकाश की स्वीकृति, सेवानिवृत्ति पूर्व अवकाश के रूप में अभिव्यक्त करते हुए शामिल न किया गया हो।
(4) अर्धवेतन अवकाश को जमा करते समय, किसी दिन के अपूर्णांक (अपूर्ण प्रभाग) को निकटस्थ दिन में पूर्णांकित किया जाएगा।
29. लघुकृत अवकाश - 
(1) किसी शासकीय सेवक को, केवल चिकित्सा प्रमाणपत्र के आधार पर, अर्धवेतन अवकाश के आधे से अनधिक लघुकृत अवकाश, निम्नलिखित शर्तों के अध्यधीन रहते हुए, स्वीकृत किया जा सकता है :-
(एक) जब लघुकृत अवकाश स्वीकृत किया जाये, तो देय अर्धवेतन अवकाश के विरुद्ध, ऐसे अवकाश की दुगुनी संख्या विकलित की जायेगी;
(दो) जब तक अवकाश स्वीकृत करने हेतु सक्षम प्राधिकारी के पास यह विश्वास करने का कारण न हो कि शासकीय सेवक इसकी समाप्ति पर कर्त्तव्य पर वापस लौटेगा, लघुकृत अवकाश स्वीकार नहीं किया जायेगा;
(तीन) लघुकृत अवकाश सेवानिवृत्ति पूर्व अवकाश के रूप में स्वीकृत नहीं किया जायेगा।
(2) संपूर्ण सेवा अवधि में अधिकतम 180 दिनों तक का अर्धवेतन अवकाश (चिकित्सा प्रमाणपत्र प्रस्तुत किये बिना) लघुकृत अवकाश में परिवर्तित करने की अनुमति दी जा सकती है, जहाँ ऐसे अवकाश का उपयोग किसी ऐसे अनुमोदित पाठ्यक्रम के अध्ययन के लिये हो जिसे अवकाश स्वीकृत करने हेतु  प्राधिकारी द्वारा लोकहित में होना प्रमाणित किया गया हो।
(3) जहॉं शासकीय सेवक जिसे लघुकृत अवकाश स्वीकृत किया गया है, सेवा से त्यागपत्र देता है अथवा उसे उसके निवेदन पर सेवा में वापस लौटे बिना स्वैच्छिक सेवानिवृत्त होने की अनुमति दी जाती है, के लघुकृत अवकाश को अर्धवेतन अवकाश के समान समझा जायेगा तथा लघुकृत अवकाश एवं अर्धवेतन अवकाश के संबंध में अवकाश वेतन के मध्य के अन्तर की वसूली की जायेगी :
     परन्तु ऐसी वसूली नहीं की जायेगी यदि सेवानिवृत्ति शासकीय सवेक की अस्वस्थता के कारण आगे की सेवा के लिये अनुपयुक्त होने के फलस्वरूप हुई हो अथवा उसकी मृत्यु हो गई हो । 
टीप- शासकीय सेवक के निवेदन पर लघुकृत अवकाश स्वीकृत किया जा सकेगा भले ही उसे अर्जित अवकाश देय हो।
30. अदेय अवकाश - 
(1) सेवानिवृत्ति पूर्व अवकाश के प्रकरणों को छोड़कर, किसी शासकीय सेवक को निम्नलिखित शर्तो के अध्यधीन रहते हुए अदेय अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है :-
(क) अवकाश स्वीकृत करने हेतु सक्षम प्राधिकारी को यह समाधान हो जाये कि शासकीय सेवक के ऐसे अवकाश की समाप्ति पर कर्त्तव्य पर वापस लौटने की यथोचित संभावना है; 
(ख) अदेय अवकाश उस अर्धवेतन अवकाश तक सीमित होगा जो उसके द्वारा भविष्य में (तत्पश्चात) अर्जित किया जाना संभावित है।
(ग) संपूर्ण सेवाकाल में अदेय अवकाश अधिकतम  360 दिनों तक सीमित रहेगा, जिसमें से एक समय में अधिकतम 90 दिन तथा कुल 180 दिनों से अधिक न हो का अवकाश चिकित्सा प्रमाणपत्र के अन्यथा स्वीकृत किया जा सकता है।
(घ) अदेय अवकाश, शासकीय सेवक की अनुवर्ती सेवा अवधि में अर्जित होने वाले अर्धवेतन अवकाश के विरूद्ध विकलित किया जायेगा।
(2) (क) जब कोई शासकीय सेवक जिसे अदेय अवकाश स्वीकृत किया गया है, सेवा से त्यागपत्र देता है अथवा उसे उसके निवेदन पर सेवा में वापस लौटे बिना स्वैच्छिक सेवानिवृत्त होने की अनुमति दी जाती है, तो उसका अदेय अवकाश निरस्त कर दिया जायेगा, उसका त्यागपत्र अथवा सेवानिवृत्ति उस तिथि से प्रभावशील मानी जावेगी जिस तिथि से ऐसा अवकाश प्रारंभ हुआ था तथा अवकाश वेतन की वसूली की जायेगी।
(ख) जब कोई शासकीय सेवक अदेय अवकाश का उपभोग कर कर्त्तव्य पर वापस लौटता है किन्तु ऐसा अवकाश अर्जित करने के पूर्व ही, वह सेवा से त्यागपत्र दे देता है अथवा सेवानिवृत्त होता है, तो वह बाद में अर्जित न की गई अवकाश की सीमा तक अवकाश वेतन वापस करने के दायित्वाधीन होगा। 
     परंतु खंड (क) अथवा खंड (ख) के अधीन अवकाश वेतन की वसूली नहीं की जायेगी, यदि शासकीय सेवक की सेवानिवृत्ति अस्वस्थता के कारण आगे की सेवा के लिये अनुपयुक्त होने के फलस्वरूप हुई हो अथवा उसकी मृत्यु हो गई हो।
    परंतु यह और भी कि खंड (क) अथवा खंड (ख) के अधीन अवकाश वेतन की वसूली नहीं की जायेगी, यदि शासकीय सेवक को  छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1976 के नियम 42 (ख) के अधीन समयपूर्व अनिवार्य-सेवानिवृत्त किया गया हो, अथवा वह मूलभूत नियम 56 (2) (क) के अधीन सेवानिवृत्त हुआ हो।
31. असाधारण अवकाश - 
(1) नियम 11 के उपबंधों के अध्यधीन रहते हुए, शासकीय सेवक को निम्नलिखित विशेष परिस्थितियों में, असाधारण अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है :- 
(क) जब कोई अन्य प्रकार का अवकाश स्वीकार्य न हो, अथवा  
(ख) जब कोई अन्य प्रकार का अवकाश स्वीकार्य हो, किंतु शासकीय सेवक असाधारण अवकाश स्वीकृत करने हेतु लिखित आवेदन दे।
(2) अवकाश स्वीकृति हेतु सक्षम प्राधिकारी ऐसे बिना अवकाश की अनुपस्थिति अवधि को भूतलक्षी प्रभाव से असाधारण अवकाश में रूपान्तरित कर सकता है। जब किसी अन्य प्रकार का अवकाश उस समय स्वीकार्य हो जिस समय बिना अवकाश अनुपस्थिति प्रारंभ हुई।
(3) स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति हेतु उसके द्वारा दी गई सूचना की अवधि के दौरान शासकीय सेवक को असाधारण अवकाश स्वीकृत नहीं किया जायेगा।
(4) असाधारण अवकाश, अवकाश लेखा में विकलित नहीं किया जायेगा।
32. परिवीक्षाधीन, व्यक्ति जो परिवीक्षा पर हो तथा प्रशिक्षु को अवकाश - 
(1)(क) किसी परिवीक्षाधीन को, इन नियमों के अधीन अवकाश की पात्रता होगी, यदि वह अपने पद को परिवीक्षा पर के अन्यथा मौलिक रूप से धारण करता। 
(ख) यदि, किसी कारण से, किसी परिवीक्षाधीन व्यक्ति की सेवाएं समाप्त करना प्रस्तावित हो तो कोई अवकाश जो उसे स्वीकृत किया जाएगा निम्न अवधि से आगे के लिये नहीं होगा :- 
(एक) उस तिथि के बाद जिस तिथि तक परिवीक्षाधीन अवधि पहले से स्वीकृत है अथवा बढ़ाई गई अवधि समाप्त होती है, या 
(दो) किसी ऐसी पूर्वतर तिथि के पश्चात् जिसमें उसे नियुक्त करने वाले सक्षम प्राधिकारी के आदेश द्वारा उसकी सेवाएं समाप्त की गई हों,
(2) किसी प्रशिक्षु को निम्नानुसार अवकाश की पात्रता होगी :- 
(क) चिकित्सा प्रमाणपत्र पर अवकाश, अर्धवेतन के समान अवकाश वेतन  पर उस अवधि के लिए जो प्रशिक्षुता के किसी वर्ष में एक माह से अधिक न हो; 
(ख) नियम 31 के अधीन असाधारण अवकाश।
33. सेवानिवृत्ति पूर्व अवकाश - 
(1) किसी शासकीय सेवक को अवकाश स्वीकृत करने हेतु सक्षम प्राधिकारी द्वारा उसे देय अर्जित अवकाश की सीमा तक जो 300 दिन से अधिक न हो के साथ देय अर्धवेतन अवकाश को सेवानिवृत्ति पूर्व अवकाश के रूप में लेने की अनुमति, इस शर्त के अधीन दी जा सकती है, कि ऐसा अवकाश सेवानिवृत्ति की तिथि तक के लिये हो तथा इसमें सेवानिवृत्ति तिथि शामिल हो। 
टिप्पणी- सेवानिवृत्ति पूर्व अवकाश के रूप में स्वीकृत अवकाश में असाधारण अवकाश शामिल नहीं होगा। 
(2) जहॉ शासकीय सेवक जो किसी स्थानीय निकाय अथवा निगम अथवा कम्पनी में अथवा उसके अधीन बाह्य सेवा पर हो जो पूर्ण रूप से अथवा अंशतः शासन द्वारा अंगीकृत अथवा नियंत्रित है अथवा शासन द्वारा नियंत्रित अथवा वित्तीय सहायता प्राप्त है (इसमें इसके पश्चात् स्थानीय निकाय के रूप में निर्दिष्ट है) सेवानिवृत्ति पूर्व अवकाश की मॉंग करता है अवकाश को स्वीकार करने अथवा नामंजूर करने का निर्णय राज्य शासन के अधीन उधार देने वाले प्राधिकारी की सहमति से बाह्य नियोजक द्वारा लिया जायेगा।
(3) जहॉं शासकीय सेवक उप-नियम (2) में उल्लेखित स्थानीय निकाय के अलावा किसी अन्य स्थानीय निकाय में अथवा उसके अधीन बाह्य सेवा में हो, तो उसे सेवानिवृत्ति पूर्व अवकाश की पात्रता तब होगी जब वह बाह्य नियोजक के अधीन सेवा से मुक्त होगा।
34. सेवानिवृत्ति, अनिवार्य सेवानिवृत्ति अथवा सेवा त्यागने की तिथि के बाद अवकाश - किसी शासकीय सेवक को निम्न अवधि के बाद अवकाश स्वीकृत नहीं किया जायेगा - 
(क) उसकी सेवानिवृत्ति की तिथि या 
(ख) उसकी अंतिम रूप से कर्त्तव्य विराम की तिथि, या 
(ग) उसकी सेवा के निबंधन एवं शर्तो के अनुसार, उसके द्वारा शासन को दी गई सचूना के द्वारा सेवानिवृत्ति लेने अथवा शासन द्वारा उसको दी गई सूचना या ऐसी सूचना के एवज में दिये गये वेतन एवं भत्तों के आधार पर सेवानिवृत्त करने की तिथि, या 
(घ) उसकी सेवा से त्यागपत्र की तिथि ।
35. सेवानिवृत्ति के पश्चात पुनर्नियुक्त व्यक्ति - सेवानिवृत्ति के पश्चात पुनर्नियुक्त व्यक्ति के प्रकरण में, इन नियमों के प्रावधान इस प्रकार लागू होंगे जैसे कि उसकी पुनर्नियुक्ति की तिथि पर शासकीय सेवा में प्रथम नियुक्ति हुई हो।
36. अवकाश वेतन - 
(1) शासकीय सेवक जो अवकाश पर प्रस्थान करता है को उसके अवकाश पर जाने के पूर्व प्राप्त वेतन के बराबर अवकाश वेतन की पात्रता होगी : 
     परन्तु यह कि, यदि कोई शासकीय सेवक भारत में बाह्य सेवा में प्रतिनियुक्ति पर रहते हुए या किसी उच्च पद पर स्थानापन्न रहते हुए या अपने मूल पद/संवर्ग में पदावनत होने पर बिना प्रत्यावर्तन पद पर कार्यभार ग्रहण किये हुए अर्जित अवकाश पर जाता है, तो उसे उस वेतन के बराबर अवकाश वेतन प्राप्त करने की पात्रता होगी, जो वह उसकी उच्च पद पर नियुक्ति को छोड़कर अर्जित अवकाश पर जाने के तत्काल पूर्व प्राप्त करता।
टिप्पणी- भारत के बाहर बाह्य सेवा में व्यतीत किये गये किसी अवधि के लिये वह वेतन जो शासकीय सेवक यदि भारत के बाहर बाह्य सेवा में न जाकर भारत में कर्तव्य पर रहते हुए प्राप्त करता अवकाश वेतन संगणित करने हेतु उसी वेतन को अधिकृत किया जायेगा।
(2) अर्धवेतन अवकाश अथवा अदेय अवकाश में रहने पर शासकीय सेवक को उप-नियम (1) में निर्दिष्ट राशि के आधे के बराबर अवकाश वेतन की पात्रता होगी ।
(3) लघुकृत अवकाश पर रहने पर शासकीय सेवक को उप-नियम (1) के अंतर्गत स्वीकार्य राशि के बराबर अवकाश वेतन की पात्रता होगी । 
(4) असाधारण अवकाश में रहने पर शासकीय सेवक को किसी प्रकार के अवकाश वेतन की पात्रता नही होगी।
(5) उस व्यक्ति के मामले में जिन्हें कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 (1948 का सं. 34) लागू है, अर्जित अवकाश को छोड़कर, अवकाश अवधि में देय अवकाश वतेन में से उक्त अधिनियम के अंर्तगत तत्स्थानी अवधि के लिये स्वीकार्य लाभ की राशि कम कर दी जायेगी।
(6) (क) शासकीय सेवक जो सेवानिवृत्त हो रहा है अथवा सेवा से त्यागपत्र देता है के प्रकरण में, यदि, पूर्व में उपभोग किया गया अवकाश उसके खाते में जमा अवकाश से अधिक होता है, तो अवकाश वेतन का आवश्यक समायोजन किया जायेगा, यदि कोई अधिक आहरण हो।
(ख) जहॉ शासकीय सेवक को सेवा से पदच्युत किया जाता है या हटाया जाता है या जिसकी सेवा में रहते हुये मृत्यु हो जाती है, यदि उसके द्वारा पूर्व में उपभोग किये गये  अवकाश की मात्रा, नियम 26 के खण्ड (2) के उपखण्ड (ख) के अधीन जमा हुये अवकाश से अधिक होती है, तो ऐसे प्रकरणों में अवकाश वेतन के अधिक भुगतान की वसूली की जायेगी। 
(7) शासकीय सेवक जिसे पुनर्नियोजन अवधि के दौरान अर्जित किया गया अवकाश स्वीकृत किया गया है, ऐसे अवकाश अवधि के लिये इस नियम के अधीन स्वीकार्य अवकाश वेतन का पात्र होगा, जिसमें से पेंशन एवं पेंशन के समतुल्य अन्य सेवानिवृत्ति हित लाभ की राशि को घटाया जायेगा।
37. अवकाश वेतन का आहरण - इन नियमों के अधीन भुगतान योग्य अवकाश वेतन का आहरण भारत में रूपये में किया जायेगा।

अध्याय - पांच 
अध्ययन अवकाश से अतिरिक्त विशेष प्रकार के अवकाश 
38. प्रसूति अवकाश - 
(1) * किसी महिला शासकीय सेवक जिसकी दो से कम जीवित संतान हैं, को 180 दिन तक की अवधि के लिये प्रसूति अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है । अवकाश अवधि में गर्भावस्था की अवधि तथा प्रसूति का दिन भी शामिल होंगे किन्तु ऐसा अवकाश प्रसूति की तिथि से 180 दिन की पश्चातवर्ती किसी अवधि हेतु स्वीकृत नहीं किया जायेगा। ऐसी अवधि में वह उस वेतन मे समतुल्य अवकाश वेतन की पात्र होगी जो उसने अवकाश पर प्रस्थान करने के ठीक पहले आहरित किया है।
(2) ऐसा अवकाश, अवकाश लेखा के विरुद्ध विकलित नहीं किया जायेगा। 
(3) प्रसूति अवकाश किसी अन्य प्रकार के अवकाश के साथ संयोजित किया जा सकता है । 
(4) किसी महिला शासकीय सेवक को (जीवित बच्चों की संख्या पर ध्यान दिये बिना) गर्भपात सहित गर्भस्त्राव के प्रकरणों में उपयुक्त चिकित्सा प्राधिकारी द्वारा अनुशंसित अवधि तक के लिये पूरे सेवाकाल में अधिकतम पैंतालीस दिन की सीमा के अध्यधीन रहते हुए, प्रसूति अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। 
टिप्पणी - इस नियम के प्रयोजन के लिए मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेगनेन्सी अधिनियम, 1971 के अधीन उत्प्रेरित कोई गर्भपात भी ‘गर्भपात’ का प्रकरण समझा जायेगा, किन्तु इस नियम के अंतर्गत ‘भयभीत कर कराये गये गर्भपात’ के लिए अवकाश स्वीकृत नहीं किया जायेगा। (संशोधन)
(* वित्त निर्देश 04, दिनांक 13 फरवरी, 2013 द्वारा 135 दिन 180 दिन से प्रतिस्थापित तथा वित्त निर्देश 15, दिनांक 25 मई, 2016 द्वारा उक्त अवकाश गर्भावस्था की अवधि तथा प्रसूति का दिन भी शामिल किन्तु प्रसूति की तिथि से 180 दिन की पश्चातवर्ती अवधि के लिए स्वीकृति पर रोक)
38-क. पितृत्व अवकाश - 
(1) किसी पुरूष शासकीय सेवक को जिसकी दो से कम जीवित संतान है उसकी पत्नी के प्रसवकाल के दौरान अर्थात बच्चे के जन्म से 15 दिन पहले अथवा बच्चे के जन्म से 6 माह की अवधि के भीतर अवकाश स्वीकृति हेतु सक्षम प्राधिकारी द्वारा 15 दिनों की अवधि के लिये पितृत्व अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है।
(2) ऐसे अवकाश की अवधि में शासकीय सेवक को अवकाश पर प्रस्थान करने के ठीक पहले आहरित वेतन के समान अवकाश वेतन का भुगतान किया जायेगा।
(3) पितृत्व अवकाश, अवकाश लेखा के विरुद्ध विकलित नहीं किया जायेगा तथा किसी अन्य प्रकार के अवकाश के साथ संयोजित किया जा सकेगा।
(4) यदि पितृत्व अवकाश का उपभोग, नियम (1) में विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर  नहीं किया जाता है, तो ऐसा अवकाश व्यपगत माना जायेगा।
टीप - इस अवकाश को सामान्यतः अस्वीकृत नहीं किया जायेगा।
38-ख. दत्तक ग्रहण अवकाश - 
(1) किसी महिला शासकीय सेवक को जिसके दो से कम जीवित संतान हैं एक वर्ष की उम्र तक का बच्चा वैधानिक रूप से गोद लेने पर 135 दिन (दत्तक लिये गये बच्चे की आयु 1 वर्ष पूर्ण होने की तिथि तक सीमित) तक की अवधि के लिए दत्तक ग्रहण अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है । ऐसी कालावधि के दौरान वह अवकाश पर प्रस्थान करने के ठीक पहले आहरित वेतन के समान अवकाश वेतन के लिए पात्र होंगी ।
(2) दत्तक ग्रहण अवकाश किसी अन्य प्रकार के अवकाश के साथ संयोजित किया  जा सकता है।(3) दत्तक ग्रहिता माता को, उसके आवेदन पर, ’दत्तक ग्रहण अवकाश’ की निरंतरता में, दत्तक ग्रहण अवकाश की अवधि पर ध्यान दिये बिना, वैधानिक रूप से दत्तक लेने की तिथि पर गोद लिए गये बच्चे की उम्र को कम करते हएु, एक वर्ष तक की अवधि के लिए उसे देय एवं स्वीकार्य अन्य प्रकार के अवकाश (अदेय अवकाश एवं बिना चिकित्सा प्रमाणपत्र के 60 (साठ) दिन तक के लघुकृत अवकाश सहित) स्वीकृत किया जा सकता है ।  
(4) दत्तक ग्रहण अवकाश, अवकाश लेखा के विरुद्ध विकलित नहीं किया जाएगा ।
(1) इस नियम के उपबंधों के अध्यधीन रहते हुए, महिला शासकीय सेवक को सक्षम प्राधिकारी द्वारा उसके संपूर्ण सेवाकाल के दौरान उसकी दो ज्येष्ठ जीवित संतानों की देखभाल के लिए अधिकतम 730 दिन की कालावधि का संतान पालन अवकाश स्वीकृत किया जा सकेगा।
(2) अधिकार के रूप में अवकाश का दावा नहीं किया जा सकेगा।
(3) उप-नियम (1) के प्रयोजनों के लिए, “संतान” से अभिप्रेत है,-
(क) अठारह वर्ष की आयु से कम की संतान (विधिक रूप से दत्तक संतान को सम्मिलित करते हुए); या
(ख) सामाजिक न्याय तथा सशक्तिकरण मंत्रालय, भारत सरकार की अधिसूचना क्रमांक 16-18/97-एन 1.1, दिनांक 1 जून, 2001 में यथा विनिर्दिष्ट न्यूनतम चालीस प्रतिशत निःशक्तता वाली संतान (आयु सीमा
का कोई बंधन नहीं)।
(4) उप-नियम (1) के अधीन किसी महिला शासकीय सेवक को संतान पालन अवकाश की स्वीकृति, निम्नलिखित शर्तों के अध्यधीन दी जायेगी, अर्थात्‌ :-
(क) यह एक कैलेण्डर वर्ष में तीन बार से अधिक के लिए स्वीकृत नहीं किया जाएगा। यदि स्वीकृत किये गये अवकाश की कालावधि, आगामी कैलेण्डर वर्ष में भी जारी रहती है तो बारी की गणना ऐसे वर्ष में की
जायेगी जिसमें कि अवकाश का आवेदन किया गया था अथवा जिसमें आवेदन किये गये अवकाश का अधिक भाग आता है। कैलेण्डर वर्ष से अभिप्रेत है वर्ष के 1 जनवरी से प्रारंभ होकर 31 दिसम्बर तक की
कालावधि।
(ख) यह सामान्य रूप से परिवीक्षा कालावधि के दौरान स्वीकृत नहीं किया जाएगा। तथापि, विशेष परिस्थितियों में, यदि परिवीक्षा कालावधि के दौरान अवकाश स्वीकृत किया जाता है तो परिवीक्षा की अवधि, उस कालावधि के बराबर अवधि तक के लिए बढ़ा दी जाएगी, जिसके लिए अवकाश स्वीकृत किया गया है।
(5) संतान पालन अवकाश की अवधि के दौरान, महिला शासकीय सेवक को अवकाश पर प्रस्थान करने के ठीक पूर्ववर्ती मास में आहरित वेतन के समान अवकाश वेतन का भुगतान किया जाएगा।
(6) संतान पालन अवकाश, अवकाश लेखा के विरूद्ध विकलित नही किया जायेगा तथा यह अवकाश किसी अन्य प्रकार के अवकाश के साथ संयोजित किया जा सकेगा।
(7) इस अवकाश का खाता, पृथक से संधारित किया जाएगा तथा इसकी प्रविष्टि संबंधित महिला शासकीय सेवक की सेवा पुस्तिका में की जाएगी।
(* वित्त निर्देश 52, दिनांक 4 अक्टूबर, 2018 द्वारा जोड़ा गया)
39. जानबूझकर पहुंचाई गई क्षति हेतु विशेष निर्योग्यता अवकाश - 
(1) अवकाश स्वीकृत करने हेतु सक्षम प्राधिकारी किसी ऐसे शासकीय सेवक (चाहे स्थायी हो या अस्थायी) को, जिसे जानबूझकर पहुचाई गई या हुई क्षति अथवा अपने शासकीय कर्त्तव्य के निर्वहन या अपनी शासकीय अवस्थिति के परिणामस्वरूप निर्योग्य हो गया हो विशेष निर्योग्यता अवकाश स्वीकृत कर सकता है।
(2) ऐसा अवकाश तब तक स्वीकृत नहीं किया जायेगा जब तक कि ऐसी घटना जिसके कारण निर्योग्यता हुई है, के घटित होने के तीन माह के भीतर निर्योग्यता प्रकट न हुई हो तथा निर्योग्य व्यक्ति ने इसे जानकारी में लाने के लिये अपेक्षित तत्परता दर्शाई हैं :
     परंतु, यदि अवकाश स्वीकृत करने हेतु सक्षम प्राधिकारी निर्योग्यता के कारणों से संतुष्ट है, तो ऐसे मामलों में, निर्योग्यता अवकाश स्वीकृत करने की अनुमति दे सकेगा, जहॉं ऐसी घटना के तीन माह से अधिक के पश्चात् निर्योग्यता प्रकट हुई हो। 
(3) अवकाश स्वीकृति की अवधि उतनी ही होगी जितनी किसी अधिकृत चिकित्सा परिचारक द्वारा प्रमाणित की गयी है तथा किसी भी मामले में 24 माह से अधिक नही होगी।
(4) विशेष निर्योग्यता अवकाश किसी अन्य प्रकार के अवकाश के साथ संयोजित किया जा सकता है।
(5) यदि बाद में निर्योग्यता उन्ही परिस्थितियों में पुनः प्रकट हो जाये या बढ़ जाये, तो विशेष निर्योग्यता अवकाश एक बार से अधिक स्वीकृत किया जा सकता है, किन्तु किसी एक निर्योग्यता के लिये ऐसा अवकाश 24 माह से अधिक स्वीकृत नहीं किया जायेगा।
(6) पेंशन हेतु सेवा की गणना करते समय, विशेष निर्योग्यता अवकाश को कर्तव्य के रूप में संगणित किया जायेगा तथा अवकाश खाते के विरुद्ध विकलित नहीं किया जायेगा। 
(7) ऐसी अवकाश अवधि में अवकाश वेतन निम्नानुसार होगा - 
(क) उप-नियम (5) के अधीन स्वीकृत अवकाश की अवधि को शामिल करते हुये, ऐसे अवकाश के किसी अवधि के प्रथम 120 दिनों के लिये, अर्जित अवकाश के दौरान अवकाश वेतन के समतुल्य; तथा
(ख) ऐसे किसी अवकाश की शेष अवधि के लिये, अर्धवेतन अवकाश के दौरान अवकाश वेतन के समतुल्य।
(8) उस व्यक्ति के मामले में जिसे कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 (1948 का सं. 34) लागू है, इस नियम के अधीन देय अवकाश वेतन की राशि में से उक्त अधिनियम के अंतर्गत तत्स्थानी अवधि के लिये देय लाभ की राशि कम कर दी जायेगी।
40. आकस्मिक क्षति हेतु विशेष निर्योग्यता अवकाश - 
(1) शासकीय सेवक जो चाहे स्थायी हो या अस्थायी जो अपने पदेन कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान या कर्तव्य निर्वहन के परिणामस्वरुप आकस्मिक क्षति से सेवा के अयोग्य हो जाता है या अपने पद की अवस्थिति के फलस्वरुप किसी विशेष कर्तव्य का निर्वहन करते हुए बीमार हो जाता है, जो कि उसके सिविल पद की जिम्मेदारी से ज्यादा जोखिम का कार्य था जिससे बीमारी या दुर्घटना हुई, नियम 39 के प्रावधान लागू होंगे।  
(2) ऐसे मामले में विशेष निर्योग्यता अवकाश की स्वीकृति, निम्नलिखित अतिरिक्त शर्तो के अधीन होगी - 
(एक) यह कि, यदि निर्योग्यता के कारण कोेई बीमारी है, तो प्राधिकृत चिकित्सा अधिकारी द्वारा यह प्रमाणित किया जाना चाहिए कि उसे ऐसी निर्योग्यता किस विशेष कर्त्तव्य के निर्वहन के परिणामस्वरूप हुई है; 
(दो) यह कि, यदि सेना बल के अतिरिक्त अन्य सेवा में रहते हुए किसी शासकीय सेवक को ऐसी निर्याेग्यता हुई है तो अवकाश स्वीकृतकर्ता प्राधिकारी की राय में वह निर्योग्यता अपवादिक प्रकृति की होनी चाहिए; तथा
(तीन) यह कि, प्राधिकृत चिकित्सा परिचारक द्वारा सिफारिश की गई अनपुस्थिति की अवधि अंशतः इस नियम के अधीन अवकाश द्वारा, आच्छादित हो, तथा अंशतः अन्य प्रकार के अवकाश द्वारा तथा अर्जित अवकाश की तरह अवकाश वेतन के बराबर अवकाश वेतन पर स्वीकार्य विशेष निर्योग्यता अवकाश की मात्रा 120 दिनों से अधिक नही होगी।
40-क. विशेष निर्योग्यता अवकाश स्वीकृति की शक्ति - नियम 39 एवं 40 के अधीन विशेष निर्योग्यता अवकाश की स्वीकति से सबंंधित सभी मामले तत्संबंधित प्रशासनिक विभाग को  सहमति हेतु प्रस्तुत किये जावेंगे।
41. विशेष निर्योग्यता अवकाश तथा अध्ययन अवकाश के अलावा अवकाश मंजूर करने की शक्ति- 
(1) विभागों में सेवारत शासकीय सेवकों के मामले में विशेष निर्योग्यता अवकाश तथा अध्ययन अवकाश के अलावा अन्य अवकाश स्वीकृति हेतु प्रशासकीय विभाग, अवकाश स्वीकारकर्ता प्राधिकारी को पदांकित कर सकता है तथा वह यह भी निर्धारित कर सकता है कि ऐसे प्राधिकारी कितनी सीमा तक एवं किन शर्तो के अधीन अवकाश स्वीकृत कर सकते है। 
 (2) उप-नियम (1) में उल्लेखित के अलावा, अवकाश के सभी मामले,  प्रशासकीय विभाग को निर्दिष्ट किये जायेगें । 

अध्याय - छः 
अध्ययन अवकाश
42. अध्ययन अवकाश स्वीकृति की शर्ते - 
(1) इन नियमों मे विनिर्दिष्ट शर्तो के अध्यधीन रहते हुए, किसी शासकीय सेवक को लोक सेवा की अत्यावश्यकताओं को ध्यान में रखते हुये भारत में अथवा भारत के बाहर किसी विशिष्ट अध्ययन पाठ्यक्रम, जिसमें किसी व्यावसायिक या तकनीकी विषय में उच्चतर शिक्षा या विशेषीकृत प्रशिक्षण शामिल है तथा जिसका उसके कार्यक्षेत्र से सीधा और निकट संबंध है,  के लिये अध्ययन अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है । 
(2) अध्ययन अवकाश निम्न हेतु भी स्वीकृत किया जा सकता है - 
(एक) ऐसा प्रशिक्षण पाठ्यक्रम या अध्ययन यात्रा हेतु, यदि ऐसा प्रशिक्षण पाठ्यक्रम या अध्ययन यात्रा को लोकहित की दृष्टि से शासन के लिये निश्चित लाभ का होना प्रमाणित किया गया हो तथा शासकीय सेवक के कार्यक्षेत्र से संबंधित हो जिसमें शासकीय सेवक किसी नियमित शैक्षणिक अथवा अर्ध शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल न भी हुआ हो; और
(दो) लोक प्रशासन के स्वरूप या पृष्ठभूमि से संबंधित अध्ययन के प्रयोजनों के लिए निम्न शर्तो के अधीन कि - 
(क) विशिष्ट अध्ययन या अध्ययन-यात्रा अध्ययन अवकाश स्वीकृत करने हेतु सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित होनी चाहिए ; और 
(ख) शासकीय सेवक से यह अपेक्षा की जानी चाहिए कि अपनी वापसी पर उसके द्वारा अध्ययन अवकाश की अवधि में किये गये कार्यो का पूर्ण प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जायेगा।
(तीन) ऐसे अध्ययन हेतु जिसका शासकीय सेवक के कार्य के साथ सीधा और निकट संबंध नहीं है, किन्तु उसका ज्ञान इस  प्रकार विस्तारित हो कि एक लोकसेवक के रूप में उसकी योग्यता बढ़ाने में सहायक हो और वह लाकेसेवा की अन्य शाखाओं में कार्यरत कर्मचारियों को सहयोग देने में अपने आप को अधिक सुसज्जित महसूस कर सके।
(3) अध्ययन अवकाश स्वीकृत नही किया जायेगा जब तक कि -
(एक) प्रशासकीय विभाग द्वारा यह प्रमाणित नहीं किया जाये कि प्रस्तावित अध्ययन पाठ्यक्रम या प्रशिक्षण लोकहित की दृष्टि से निश्चित लाभकारी होगा;
(दो) यह शैक्षणिक अथवा साहित्यिक विषयों के अतिरिक्त अन्य विषयों के अध्ययन के लिये न हो:
परन्तु यह कि किसी विशेषज्ञ या तकनीकी व्यक्ति को, प्रत्येक मामले में गुणदोष के आधार पर ऐसे स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के अध्ययन के लिये जिसका उसके कार्यक्षेत्र के साथ सीधा संबंध हो, अध्ययन अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है, यदि संबंधित विभाग के सचिव द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि उक्त अध्ययन पाठ्यक्रम उस विशेषज्ञ या तकनीकी व्यक्ति को, यथास्थिति, उसके कार्यक्षेत्र में होने वाले आधुनिक विकास के साथ जोड़े रखने में सहायक होगा, उसके तकनीकी स्तर तथा योग्यता में सुधार लायेगा और इस प्रकार से विभाग को पर्याप्त लाभ मिलेगा।
(तीन) यदि ऐसा अवकाश भारत के बाहर के लिये है, तो, भारत शासन वित्त कार्य विभाग, वित्त मंत्रालय, अध्ययन अवकाश की स्वीकृति सहित विदेशी मुद्रा विमुक्त करने के लिये सहमत हो।
(4) ऐसे विषय हेतु जिनके अध्ययन के लिये भारत में पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध हैं भारत के बाहर के लिये अध्ययन अवकाश स्वीकृत नहीं किया जायेगा।
(5) अध्ययन अवकाश ऐसे नियमित शासकीय सेवक को स्वीकृत किया जा सकेगा, जो - 
(एक) परिवीक्षा अवधि संतोषप्रद रूप से पूर्ण कर चुका है और परिवीक्षा अवधि तथा तदर्थ रूप से की गई सेवा को शामिल करते हुये शासन के अधीन कम से कम पांच वर्ष की नियमित सेवा कर चुका है ;
(दो) अवकाश समाप्त होने के पश्चात अपने कर्त्तव्य पर लौटने की संभावित तिथि से तीन वर्ष के भीतर अधिवार्षिकी आयु पर पहुंचनें वाला न हो; 
(तीन) अवकाश समाप्त होने के बाद तीन वर्षो तक शासकीय सेवा करने की वचनबद्वता हेतु नियम 49 में दिये गये अनुसार एक बंधपत्र निष्पादित करता है।
(6) शासकीय सेवक को अध्ययन अवकाश ऐसी बारम्बारता के साथ स्वीकृत नहीं किया जायेगा जिससे उसका नियमित कार्य से संपर्क समाप्त हो जाये अथवा उसकी अवकाश पर अनुपस्थिति संवर्गीय कठिनाई का कारण बने।
43. अध्ययन अवकाश की स्वीकृति - (1) शासकीय सेवक को अध्ययन अवकाश प्रशासकीय विभाग द्वारा स्वीकृत किया जायेगा। 
(2) जहाँ शासकीय सेवक एक विभाग अथवा स्थापना के संवर्ग में स्थायी पद पर होते हुये किसी दूसरे विभाग या स्थापना में अस्थाई रूप से सेवारत हो, उसे अध्ययन अवकाश की स्वीकृति इस शर्त के अधीन दी जायेगी कि अवकाश स्वीकृति के पूर्व उस विभाग की सहमति प्राप्त की जाए जिस विभाग से वह स्थायी रूप से संबद्ध है।
 (3) अध्ययन पाठ्यक्रम के पूर्ण होने पर, शासकीय सेवक उस प्राधिकारी को जिसने अध्ययन अवकाश स्वीकृत किया था, पाठ्यक्रम के प्रभारी प्राधिकारी का परीक्षा उत्तीर्ण होने अथवा विशिष्ट अध्ययन पाठ्यक्रम में शामिल होने संबंधी प्रमाणपत्र, जिसमें पाठ्यक्रम के प्रारंभ होने तथा समाप्त होने की तिथि तथा अभ्युक्ति, यदि कोई हो, अंकित होना चाहिए, प्रस्तुत करेगा।
44. एक समय पर तथा संपूर्ण सेवाकाल में स्वीकृति योग्य अधिकतम अध्ययन अवकाश की मात्रा - अध्ययन अवकाश की अधिकतम मात्रा, जो शासकीय सेवक को स्वीकृत की जा सकेगी निम्नानुसार होगी-
(एक) सामान्यतया किसी एक समय में बारह महीने जिसमें आपवादिक कारणों को छोड़कर वृद्वि नहीं की जायेगी, और 
(दो) संपूर्ण सेवाकाल में, कुल मिलाकर 24 महीने (अध्ययन अथवा प्रशिक्षण हेतु किन्ही अन्य नियमों के अधीन स्वीकृत इसी प्रकार के अवकाश को सम्मिलित करते हुये)।
45. अध्ययन अवकाश का लेखांकन तथा अन्य प्रकार के अवकाश के साथ संयोजन -
(1) अध्ययन अवकाश को शासकीय सेवक के अवकाश लेखा के विरुद्ध विकलित नहीं किया जायेगा।
(2) अध्ययन अवकाश को अन्य प्रकार के अवकाश के साथ संयोजित किया जा सकता है, किन्तु किसी भी मामले में इस अवकाश की और असाधारण अवकाश को छोड़कर अन्य अवकाश की स्वीकृति के फलस्वरूप शासकीय सेवक की नियमित कर्त्तव्य से सम्मिलित अनुपस्थिति सामान्यतः अठ्ठाईस माह से अधिक तथा ऐसा पाठ्यक्रम, जिससे पी.एच.डी. की उपाधि अथवा अठ्ठाईस माह से अधिक अवधि की स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त होती है, के लिये छत्तीस माह से अधिक नहीं होगी।
(3) शासकीय सेवक जिसे अध्ययन अवकाश किसी अन्य प्रकार के अवकाश के संयोजन में स्वीकार किया गया है, यदि चाहे तो, अपना अध्ययन, अन्य प्रकार के अवकाश समाप्त होने के पहले ही स्वीकार या प्रारंभ कर सकता है, किन्तु अध्ययन पाठ्यक्रम के साथ युक्त ऐसा अवकाश काल, अध्ययन अवकाश के रूप में संगणित नही होगा । 
टिप्पणी- उप-नियम (2) में विहित अनुपस्थिति की सीमा में विश्रामावकाश शामिल है।
46. अध्ययन पाठ्यक्रम से आगे के अध्ययन अवकाश का विनियमन - जब अध्ययन पाठ्यक्रम, स्वीकृत अध्ययन अवकाश से पहले पूरा हो जाये तो, शासकीय सेवक अध्ययन पाठ्यक्रम की समाप्ति पर अपना कार्यभार पुनर्ग्रहण करेगा, बशर्ते कि अवकाश स्वीकृत करने हेतु सक्षम प्राधिकारी से अतिरिक्त अवधि को सामान्य अवकाश के समान मानने हेतु पूर्वानुमति न प्राप्त कर ली गई हो।
47. अवकाश वेतन के अतिरिक्त भत्ते की पात्रता - शासकीय सेवक को स्वीकृत अध्ययन अवकाश की अवधि में महंगाई भत्ते के अलावा, किसी अन्य प्रकार के भत्ते की पात्रता नहीं होगी।
48. यात्रा भत्ते की स्वीकृति - शासकीय सेवक को सामान्यतः यात्रा भत्ते का भुगतान नही किया जायेगा, किन्तु अपवादिक परिस्थितियों में राज्यपाल ऐसे भत्ते के भुगतान की स्वीकृति दे सकते हैं। 
49. बन्धपत्र का निष्पादन - ऐसा प्रत्येक स्थायी शासकीय सेवक जिसे अध्ययन अवकाश अथवा ऐसे अवकाश में वृद्धि स्वीकतृ की गई है, को स्वीकृत अध्ययन अवकाश अथवा अवकाश में वृद्वि प्रारंभ होने की तिथि के पूर्व, यथास्थिति, प्रपत्र-5 अथवा 6 में दिये अनुसार बन्धपत्र निष्पादित करना होगा । यदि किसी अस्थाई शासकीय सेवक को अध्ययन अवकाश अथवा इसमें वृद्वि स्वीकृत की गई है, तो यथास्थिति, प्रपत्र-7 या प्रपत्र-8 में दिये अनुसार बन्धपत्र निष्पादित करना होगा।
50. अध्ययन अवकाश के पश्चात अथवा अध्ययन पाठ्यक्रम पूर्ण होने के पूर्व त्यागपत्र अथवा सेवानिवृत्ति - 
(1) यदि कोई शासकीय सेवक, अध्ययन अवकाश की कालावधि के पश्चात कर्त्तव्य पर लौटे बिना अथवा कर्त्तव्य पर लौटने के तीन वर्ष की कालावधि के भीतर सेवा से त्यागपत्र देता है, सेवानिवृत्त होता है अथवा अन्यथा सेवा त्यागता है अथवा अध्ययन पाठ्यक्रम पूर्ण नही करता है तथा इस प्रकार से नियम 43 के उप-नियम (3) के अनुसार अपेक्षित प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने में असमर्थ रहता है, तो उसे निम्नानुसार वापस करना होगा -
(एक) अवकाश वेतन की वास्तविक राशि, शासन द्वारा भुगतान किये गये शुल्क का मूल्य, यात्रा एवं अन्य व्यय, यदि कोई हो ; तथा
(दो) अध्ययन पाठ्यक्रम के संबंध में अन्य एजेन्सी यथा विदेशी सरकार, किसी संस्थान या न्यास द्वारा किया गया वास्तविक व्यय, यदि कोई हो, इसके अलावा उसका त्यागपत्र स्वीकृत करने अथवा सेवानिवृत्त होने की अनुमति देने अथवा उसके अन्यथा सेवा छोड़ने से पहले, उस राशि पर मांग की तिथि से 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी वापस करना होगा :
     परन्तु यह कि ऐसे कर्मचारी जो अध्ययन पाठ्यक्रम पूर्ण करने में असफल रहते हैं, के प्रकरणों को छोड़कर, इस नियम के प्रावधान लागू नहीं होंगे -  
(क) उस शासकीय सेवक को, जिसे अध्ययन अवकाश से वापस लौटने पर चिकित्सा कारणों से सेवानिवृत्त होने की अनुमति दी गई है; अथवा
(ख) उस शासकीय सेवक को, जिसे अध्ययन अवकाश से वापस लौटने पर किसी स्वशासी निकाय अथवा शासन के नियंत्रणाधीन किसी संस्था में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया हो, तथा पश्चात्वर्ती समय में उक्त वैधानिक या स्वशासी निकाय अथवा संस्था में स्थाई संविलियन की दृष्टि से लोकहित में त्यागपत्र देने की अनुमति दी गई हो।
(2) (क) ऐसे शासकीय सेवक द्वारा उपभोग किये गये अध्ययन अवकाश को अध्ययन अवकाश प्रारंभ होने की तिथि को उसके खाते में जमा नियमित अवकाश में संपरिवर्तित किया जावेगा, अध्ययन अवकाश के अनुक्रम में लिया गया कोई नियमित अवकाश, इस प्रयोजन के लिये उपयुक्त तरीके से समायोजित किया जायेगा तथा अध्ययन अवकाश की शेष अवधि, यदि कोई हो, जिसे इस प्रकार से संपरिवर्तित नहीं किया जा सका है, असाधारण अवकाश जैसा समझा जायेगा।
(ख) शासकीय सेवक द्वारा उप-नियम (1) के अधीन लौटाई जाने वाली राशि के अलावा, यदि वास्तविक रूप से आहरित वेतन, अध्ययन अवकाश के संपरिवर्तन के फलस्वरूप स्वीकार्य अवकाश वतेन से अधिक है तो उसे ऐसे आधिक्य की राशि भी वापस करना होगा। 
(3) नियमों में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, यदि यह आवश्यक हो अथवा ऐसा किया जाना उचित समझा जाये तो राज्यपाल के आदेश से लोकहित में किसी प्रकरण अथवा किसी वर्ग के प्रकरणों की विशिष्ट परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये संबंधित शासकीय सेवक अथवा शासकीय सेवकों के उस वर्ग को उप-नियम (1) के अधीन वापसी हेतु अपेक्षित राशि की वापसी से छूट दी जा सकती है या राशि कम की जा सकती है।
51. अध्ययन अवकाश की अवधि में अवकाश वेतन - 
(1) अध्ययन अवकाश के उपभोग के दौरान, शासकीय सेवक उस वेतन (महंगाई भत्ते के अतिरिक्त अन्य भत्तों के बिना) के समान अवकाश वेतन आहरित करेगा जो ऐसे अवकाश में जाने के ठीक पहले शासकीय कर्त्तव्य के दौरान आहरित किया था। 
(2) (क) पूर्ण दर पर अवकाश वेतन का भुगतान शासकीय सेवक द्वारा इस आशय का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने के अध्यधीन होगा कि उसे किसी अंशकालीन नियोजन के संबंध में कोई छात्रवृत्ति, शिष्यवृत्ति या पारिश्रमिक प्राप्त नहीं हुआ है।
(ख) शासकीय सेवक द्वारा अध्ययन अवकाश की अवधि में किसी अंशकालीन नियोजन के संबंध में छात्रवृत्ति या शिष्यवृत्ति या पारिश्रमिक के रूप में यदि कोई राशि प्राप्त की गई हो तो उसे इस उप-नियम के अधीन भुगतान योग्य अवकाश वेतन के विरूद्व इस शर्त के अधीन समायोजित किया जायगा कि ऐसी अवकाश वेतन की राशि, अर्धवेतन अवकाश काल में, अवकाश वेतन की तरह भुगतान योग्य राशि से कम न हो।
52.  अध्ययन अवकाश का पदोन्नति, पेंशन, वरिष्ठता, अवकाश एवं वेतनवृद्वि हेतु गणना - अध्ययन अवकाश को पदोन्नति, पेंशन तथा वरिष्ठता हेतु सेवा के रूप में गिना जायेगा। इसे मूलभूत नियम के नियम 26 के प्रावधानानुसार वेतनवृद्वि हेतु भी सेवा के रूप में गिना जायेगा।
53. अध्ययन अवकाश हेतु आवेदन पत्र - (1) (क) अध्ययन अवकाश हेतु प्रत्येक आवेदन पत्र उचित माध्यम से अवकाश स्वीकृत करने हेतु सक्षम प्राधिकारी को प्रस्तुत किया जायेगा । 
(ख) शासकीय सेवक द्वारा अध्ययन हेतु परिकल्पित पाठ्यक्रम या अध्ययन पाठ्यक्रम तथा ऐसी किसी परीक्षा जिसमें उसका शामिल होना प्रस्तावित है, का ऐसे आवेदन पत्र में स्पष्ट उल्लेख किया जायगा। 
(2) जहाँ शासकीय सेवक द्वारा उसके आवेदन पत्र में पूर्ण विवरण देना संभव नहीं है, अथवा यदि, भारत छोड़ने के पश्चात वह भारत में अनुमोदित कार्यक्रम में कोई परिवर्तन करना चाहता है, तो वह यथाशीघ्र इसका विवरण दूतावास प्रमुख अथवा अवकाश स्वीकृत करने हेतु सक्षम प्राधिकारी को, यथास्थिति, प्रस्तुत करेगा, तथा तब तक अध्ययन पाठ्यक्रम प्रारंभ नहीं करेगा अथवा इससे सबंंधित कोई व्यय नहीं करेगा, जब तक कि पाठ्यक्रम के लिये अवकाश स्वीकृत करने हेतु सक्षम प्राधिकारी का अनुमोदन प्राप्त न हो जाये, बशर्ते कि वह ऐसा स्वयं के दायित्व पर करने के लिये तैयार न हो।

अध्याय -सात
विविध  
54. निर्वचन - इन नियमों के निर्वचन के संबंध में जहां कोई शंका उत्पन्न हो तो इसे विनिश्चय हेतु शासन के वित्त विभाग को निर्दिष्ट किया जायेगा।
55. निरसन एवं व्यावृत्ति - (1) इन नियमों के प्रारंभ होने पर, ऐसे प्रारंभ के ठीक पूर्व प्रवृत्त प्रत्येक नियम, विनियम या आदेश, मेमोरेण्डम सहित (जिसे इस नियम में आगे पुराना नियम कहा गया है), जहां तक कि वह इन नियमों में अंतर्विष्ट किसी विषय के लिए उपबंधित करता है, प्रभावशून्य होगा।
(2) ऐसी प्रभावशून्यता के होते हुए भी, किसी शासकीय सेवक के संबंध में, पूर्वतन नियम के अधीन किया गया कोई कार्य या की गई कार्यवाही या या कोई अवकाश जो अर्जित हुआ, अथवा स्वीकृत किया गया, अथवा खाते में जमा किया गया है, को इन नियमों के तत्स्थानी प्रावधानों के अधीन किया गया, अर्जित, स्वीकृत या जमा हुआ माना जायेगा। 
(3) इन नियमों के अधीन अवकाश स्वीकृति के प्रयोजन के लिए, पुराने नियमों के अधीन प्रत्यायोजित शक्तियां, निरंतर लागू रहेंगी।

(स्रोत - छ.ग. शासन वित्त विभाग की वेबसाइट)

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