शासकीय वाहनों की पात्रता एवं क्रय के संबंध में छ.ग. शासन, वित्त विभाग द्वारा निम्नांकित ज्ञापन जारी किये गये है :-
1.ज्ञापन क्रमांक 1247/2009/वित्त/ ब-4/चार, दिनांक 01.12.2009 (वित्त निर्देश 36/2009)
2.ज्ञापन क्रमांक 834/वित्त/ ब-4/चार/2011, दिनांक 16.05.2013 (वित्त निर्देश 19/2011)
3.ज्ञापन क्रमांक 1052/ब-4/चार, दिनांक 19.09.2013 (वित्त निर्देश 58/2013)
1.ज्ञापन क्रमांक 1247/2009/वित्त/ ब-4/चार, दिनांक 01.12.2009 (वित्त निर्देश 36/2009)
2.ज्ञापन क्रमांक 834/वित्त/ ब-4/चार/2011, दिनांक 16.05.2013 (वित्त निर्देश 19/2011)
3.ज्ञापन क्रमांक 1052/ब-4/चार, दिनांक 19.09.2013 (वित्त निर्देश 58/2013)
राज्य शासन के मितव्ययता तथा सादगी से कार्य
संचालन की नीति के अनुकूल शासकीय वाहनों की पात्रता एवं क्रय के सम्बन्ध में पूर्व
के आदेशों / उनके संबंधित अंशों को अधिक्रमित करते हुए वित्त विभाग के वि.नि.
36/2009 के द्वारा निम्नानुसार नीतिगत दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं -
01. विभाग/कार्यालय में शासकीय वाहनों की
उपलब्धता के आधार पर शासकीय वाहन की पात्रता निम्नाँकित अधिकारियों को
होगी-
(अ) अखिल भारतीय सेवा के वरिष्ठ वेतनमान एवं
उससे ऊपर के अधिकारी ।
(ब) मंत्रालय तथा विभागाध्यक्ष कार्यालयों के
संयुक्त संचालक व उसके ऊपर के ऐसे अधिकारी, जिनके कार्य की प्रकृति ऐसी हो जिन्हें वाहन देना आवश्यक हो तथा
(स) मैदानी कार्यालय के ऐसे अधिकारी, जिनके लिये प्रशासकीय विभाग, वित्त विभाग की सहमति से पात्रता निर्धारित करें ।
02. नये वाहन का क्रय व्यय का नवीन मद है । अतः
कोई भी नया वाहन वित्त विभाग के माध्यम से बजट में प्रावधान कराने के बाद, सक्षम स्वीकृति के पश्चात् ही क्रय किये
जाये ।
03. नये वाहन डी.जी.एस.एण्ड.डी. रेट
कान्ट्रेक्ट पर ही कय किये जाये ।
04. नये वाहन ऐसे क्रय किये जायें जिनकी
परिचालन लागत तथा ईधन व्यय कम हो ।
05. (*) वाहन उपयोग करने वाले प्राधिकारी के
आधार पर नये वाहन क्रय हेतु निम्नानुसार संशोधित वित्तीय
सीमा निर्धारित की जाती है-
(अ) माननीय मंत्रीगण/सचिव अथवा सचिव से उच्च
स्तर के अधिकारियों तथा जिला न्यायाधीश, जिला
कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक के उपयोग हेतु रूपये 7.50 लाख की सीमा तक तथा
(ब) (अ) के अलावा अन्य अधिकारी, जिन्हें वाहन की पात्रता है, उनके उपयोग हेतु रूपये 6.50 लाख की सीमा तक ।
[ * वि.नि. 01/2020 द्वारा प्रस्थापित]
06. नवीन वाहन क्रय के प्रस्ताव में विभागों
द्वारा वाहन क्रय हेतु जो प्रस्ताव वित्त विभाग को स्वीकृति हेतु भेजे जाते हैं, वे अपूर्ण होते हैं, जिससे प्रस्ताव का परीक्षण करने में कठिनाई
होती है । अतः वाहन क्रय से संबंधित प्रस्ताव में प्रशासकीय विभाग द्वारा निम्नांकित
जानकारी अनिवार्य रूप से दी जावे-
(अ) प्रस्ताव जिस कार्यालय से संबंधित है उस
कार्यालय में स्वीकृत पद के आधार पर उपलब्ध वाहनों की, आबंटित अधिकारियों के पदनाम सहित सूची
।
(ब) प्रशासकीय विभाग द्वारा निर्धारित वाहनों
की पात्रता संबंधी आदेश की प्रति ।
(स) इस तथ्य का भी सुस्पष्ट लेख किया जावे कि क्रय
हेतु प्रस्तावित वाहन किस अधिकारी द्वारा उपयोग में लाया जावेगा ।
07. शासकीय अधिकारियों द्वारा कार्य क्षेत्र के
बाहर शासकीय वाहन ले जाने पर प्रतिबंध रहेगा। विशेष परिस्थितियों में यह प्रतिबंध
विभागाध्यक्ष द्वारा ही शिथिल किया जा सकेगा ।
08. वाहनों का मुख्यालय एवं मुख्यालय से बाहर
यात्रा करने पर प्रति लीटर औसत दूरी तय करने का निर्धारण अधीक्षक, स्टेट गैरेज द्वारा किया जायेगा ।
स्टेट गैरेज द्वारा निर्धारित औसत से अधिक पेट्रोल/डीजल का भुगतान नहीं हो रहा है, यह सुनिश्चित करने का दायित्व कार्यालय
प्रमुख का होगा ।
09. आवंटित शासकीय वाहनों के पेट्रोल/डीजल की
सीमा रायपुर हेतु 80 लीटर तथा अन्य नगरों हेतु 6 लीटर एवं स्टाफ कार/पुल वाहन हेतु
प्रति वाहन प्रति माह पेट्रोल/डीजल की सीमा 120 लीटर रहेगी । यदि विधान सभा सत्र 10
दिवस से अधिक का होगा तो विधानसभा सत्र के दौरान यह सीमा 50 प्रतिशत अधिक होगी ।
10. विभागाध्यक्ष कार्यालयों में 01 से अधिक
स्टाफ कार नहीं होगी ।
11. प्रत्येक विभाग के अधीन वाहनों की एक
डायरेक्ट्री संधारित की जायेगी तथा इसकी जानकारी वित्त विभाग को तथा परिवहन विभाग
को उपलब्ध करायी जावेगी ।
12. यदि प्रतिस्थापन मद के अंतर्गत वाहन क्रय की
जाना है तो अपलेखित वाहन की पूर्ण जानकारी जैसे-वाहन कब क्रय की गयी, किस अधिकारी द्वारा उपयोग में लाया जा रहा
है आदि, अपलेखन से प्राप्त राशि को जमा करने के
प्रमाण के साथ वाहन क्रय का प्रस्ताव उपलब्ध कराया जावे । अपलेखित राशि जमा होने
के पश्चात् यदि एक वर्ष के अंदर नये वाहन क्रय करने की स्वीकृति प्राप्त नहीं की
जाती है तो यह माना जायेगा कि अब उसके प्रतिस्थापन की आवश्यकता नहीं है ।
13. शासन के उक्त निर्देशों के उल्लंघन की दशा
में संबंधित क्रय-कर्त्ता अधिकारी के वेतन से वसूली तथा उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक
कार्यवाही की जाये ।
14. वाहन किराये पर लेने की व्यवस्था तत्काल
प्रभाव से प्रतिबंधित की जाती है । वित्तीय प्रत्यायोजन की पुस्तिका में
प्रत्यायोजित वाहन किराये पर लेने संबंधी अधिकार समाप्त किये जाते हैं । अपवाद
स्वरूप वित्त विभाग की सहमति से ही वाहन विशेष उद्देश्य व निर्धारित अवधि के लिये
किराया पर लिया जा सकता है ।
15. यह आदेश शासन के समस्त सार्वजनिक उपकम, निगम, मण्डल, आयोग, विश्वविद्यालय एवं स्थानीय
निकायों पर भी लागू होंगे ।
(स्रोत - छ.ग. शासन वित्त विभाग की वेबसाइट)
Nice
जवाब देंहटाएं