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गुरुवार, 9 अप्रैल 2020

अवकाश नगदीकरण से सम्बंधित निर्देश

अवकाश नगदीकरण से सम्बंधित निर्देश

1. ज्ञापन क्रमांक जी.25/28/95/सी/चार, दिनांक 10 जुलाई 1995 (मृत शासकीय सेवको के अवकाश नगदीकरण के सम्बन्ध में)
2. ज्ञापन क्रमांक जी-3/2/96/सी/चार, दिनांक 29 फरवरी 1996 (सेवानिवृत्ति पर अर्जित अवकाश के नगद भुगतान की पात्रता की गणना)
3. वित्त निर्देश 30, दिनांक 12 मई, 2014 (सेवानिवृत्ति पर अर्जित अवकाश के नगद भुगतान की पात्रता की गणना)
4. वित्त निर्देश 49, दिनांक 27 सितम्बर 2014 (सेवानिवृत्ति पर अर्जित अवकाश के नगद भुगतान की पात्रता की गणना)
5. ज्ञापन क्रमांक 89/2189/97/सी/चार, दिनांक 09 जनवरी 1998 (अवकाश वेतन की राशि के सम्बन्ध में)
6. वित्त निर्देश 51, दिनांक 06 नवम्बर 2007 (महंगाई वेतन को अवकाश नगदीकरण में शामिल किया जाना)
7. वित्त निर्देश 24, दिनांक 06 मई 2002 (अवकाश नगदीकरण व्यय का वर्गीकरण)
8. ज्ञापन क्रमांक 296/569/98/पीडब्लूसी/चार, दिनांक 23 अप्रैल 1998 (अवकाश नगदीकरण राशि का शीघ्र भुगतान)
शासकीय सेवकों की सेवानिवृत्ति पर अर्जित अवकाश के नगद भुगतान की पात्रता की गणना

वित्त विभाग के ज्ञापन क्रमांक 50/1815/90/नि-6/चार, दिनांक 08 जनवरी 1991 में सेवानिवृत्ति कर्मचारियों को अवकाश के नगदीकरण की गणना के लिए दिनांक 09.03.1987 तक 12 माह के अंतर पर 15 दिन तथा 24 माह के अंतर पर 30 दिन के हिसाब से एवं दिनांक 10.03.1987 से 01 वर्ष की अवधि पूर्ण होने पर 7 दिन अथवा 2 वर्ष की अवधि पूर्ण होने पर 15 दिन के हिसाब से अर्जित अवकाश के नगदीकरण की पात्रता संबंधी गणना किये जाने तथा ज्ञापन क्रमांक जी-3/2/96/सी/चार, दिनांक 29 फरवरी 1996 में दिनांक 10.03.1987 के पूर्व एवं पश्चात्‌ खण्ड माहों की सम्मिलित अवधियाँ यदि एक वर्ष हो जाती है, तो दिनांक 10.03.1987 के पश्चात्‌ समर्पण अवकाश की पात्रता के निर्धारण में उसे जोड़कर एक वर्ष माने जाने के निर्देश है।

ज्ञापन दिनांक 29 फरवरी 1996 के बिन्दु क्रमांक-2 पर अंकित अनुसार सेवानिवृत्ति पर अर्जित अवकाश समर्पण की पात्रता की गणना क॑ उदाहरण “अ” एवं “ब” अनुसार दिनांक 10.03.1987 के पश्चात्‌ की सेवाअवधि के लिए 7 दिवस प्रतिवर्ष की दर से पात्रता की गणना की गयी है । उक्त उदाहरण के तारतम्य में दिनांक 10.03.1987 के पश्चात सम्पूर्ण अवधि के लिए प्रतिवर्ष 7 दिवस की दर से  गणना कर पात्रता निर्धारित की जा रही थी, जिससे अवकाश के नगदीकरण में कमी होने की स्थिति बन रही थी।

अत: वित्त निर्देश 30, दिनांक 12 मई, 2014 के द्वारा स्पष्ट किया गया कि दिनांक 10.03.1987 के पश्चात्‌ की संपूर्ण सेवाअवधि के लिए प्रथमत: दो वर्ष के कालखण्ड पर 15 दिवस की दर से एवं शेष अवधि के लिए 7 दिवस प्रतिवर्ष की दर से अर्जित अवकाश (समर्पित अवकाश) की पात्रता की गणना की जाए। इसे उदाहरण में गणना सहित समझाया गया है। 

उक्त निर्देश ज्ञापन जारी होने की तिथि 12 मई, 2014 से प्रभावशील था, जिसे वित्त निर्देश 49, दिनांक 27 सितम्बर 2014 के द्वारा म.प्र. शासन द्वारा इस सम्बन्ध में जारी ज्ञापन के समान दिनांक 29 सितम्बर, 2012 से लागू करने का निर्णय लिया गया।

(स्रोत - छ.ग. शासन वित्त विभाग की वेबसाइट)


महत्वपूर्ण लिंक 
छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 2010 के संक्षिप्त जानकारी के लिए क्लिक करे
छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 2010 के विवरण के लिए क्लिक करे  
छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 2010 के प्रपत्रों की सूची के लिए क्लिक करे 
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